दुनिया के धोखे मुवा चलै जु कुल की काँण हिंदी मीनिंग Duniya Ke Dhokhe Mua Meaning Kabir Dohe

दुनिया के धोखे मुवा चलै जु कुल की काँण हिंदी मीनिंग Duniya Ke Dhokhe Mua Meaning Kabir Dohe, Kabir Ke Dohe Hindi Arth Sahit (Hindi Bhavarth)

दुनिया के धोखे मुवा, चलै जु कुल की काँण।
तबकुल किसका लाजसी, जब ले धर्‌या मसाँणि॥

Duniya Ke Dhokhe Muva, Chale Ju Kul Ki Kaan,
Tabkul Kiska Laajasi, Jab Le Dharaya Masani.

दुनिया के धोखे मुवा चलै जु कुल की काँण हिंदी मीनिंग Duniya Ke Dhokhe Mua Meaning Kabir Dohe

दुनिया के धोखे : दुनियां के धोखे में पड़कर.
मुवा : मर रहा है, नष्ट हो रहा है.
चलै जु कुल की : कुल के मुताबिक़ चलना।
काँण : मान सम्मान, मर्यादा.
तबकुल किसका : तब किसका कुल/परिवार.
लाजसी : लज्जित होगा.
जब ले धर्‌या : जब ले जाकर पटक देंगे.
मसाँणि : शमशान में (जब तुम्हे शमशान में ले जायेंगे)

कबीर साहेब की वाणी है जीवात्मा दुनिया की भ्रम में पड़कर और कुल की मर्यादा के कारण अपने अमूल्य जीवन को समाप्त कर लेता है.  कबीर साहेब जीवात्मा को चेता कर कहते हैं की उस समय किसका कुल लज्जित होगा जब तुमको शमशान में ले जाकर पटक दिया जाएगा. आशय है की यह जीवन स्थाई नहीं है. एक रोज इसको समाप्त हो जाना है. इसलिए अपने जीवन के मूल्य को समझो और समस्त प्रपंच को छोड़ कर सच्चे हृदय से इश्वर के नाम का सुमिरण करो, यही जीवन का उद्देश्य है और मुक्ति का आधार है. 
 
कुटुंब कबीला और भाई कोई काम नहीं आने वाला है, अंत समय में सद्कर्म ही व्यक्ति का कवच होते हैं. अन्यथा जन्म मरण का चक्र ऐसे ही चलता रहेगा और जीवात्मा अपने कर्मों के फल स्वरुप पुनः किसी अन्य योनी में जीवन लेकर संताप सहन करेगी. प्रस्तुत साखी में वक्रोक्ति अलंकार की व्यंजना हुई है. 

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