यह तन तो सब बन भया मीनिंग
यह तन तो सब बन भया हिंदी मीनिंग
यह तन तो सब बन भया, करम भए कुहाड़ि।आप आप कूँ काटिहैं, कहैं कबीर विचारि॥
Yah Tan To Sab Ban Bhaya Karam Bhaye Kuhaadi,
Aap Aap Ku Katahi, Kahe Kabir Vichari.
यह तन तो : यह तन, मनुष्य जीवन.
सब बन भया : यह तन वन बन गया है.
करम भए : कर्म हैं (मानव के कर्म ही कुल्हाड़ी हैं)
कुहाड़ि : कुल्हाड़ी.
आप आप कूँ स्वंय ही स्वंय को.
काटिहैं : काट रही हैं.
कहैं विचारि : विचार करके कह रहे हैं.
कबीर साहेब की वाणी है की यह तन एक तरह से वन की तरह से है और व्यक्ति के कर्म ही कुल्हाड़ी हैं. इस प्रकार से ही वह स्वंय ही स्वय को काट रहा है, कबीर साहेब विचारपूर्वक यह बात कहते हैं.
भाव है की इस मानव जीवन के समस्त अच्छे बुरे कर्मों का फल ही वन की भाँती से है जिसे हमें सद्कर्म करके काटना है. जब कर्मों के फल हमारे हैं तो हमें ही सद्कर्मों रूपी कुल्हाड़ी से इस वन को काटना है. व्यक्ति दूसरों का सहारा ढूंढता है. स्थान स्थान पर वह अपने कर्मों के फल को काटने के लिए भटकता है, जबकि यह कार्य उसे ही करना होगा. अतः हृदय से हरी का सुमिरण और सद्कार्यों में जीवन पथ पर आगे बढ़ने से ही मुक्ति का मार्ग प्रशस्त होगा. प्रस्तुत साखी में सांगरूपक और उपमा अलंकार की व्यंजना हुई है.
सब बन भया : यह तन वन बन गया है.
करम भए : कर्म हैं (मानव के कर्म ही कुल्हाड़ी हैं)
कुहाड़ि : कुल्हाड़ी.
आप आप कूँ स्वंय ही स्वंय को.
काटिहैं : काट रही हैं.
कहैं विचारि : विचार करके कह रहे हैं.
कबीर साहेब की वाणी है की यह तन एक तरह से वन की तरह से है और व्यक्ति के कर्म ही कुल्हाड़ी हैं. इस प्रकार से ही वह स्वंय ही स्वय को काट रहा है, कबीर साहेब विचारपूर्वक यह बात कहते हैं.
भाव है की इस मानव जीवन के समस्त अच्छे बुरे कर्मों का फल ही वन की भाँती से है जिसे हमें सद्कर्म करके काटना है. जब कर्मों के फल हमारे हैं तो हमें ही सद्कर्मों रूपी कुल्हाड़ी से इस वन को काटना है. व्यक्ति दूसरों का सहारा ढूंढता है. स्थान स्थान पर वह अपने कर्मों के फल को काटने के लिए भटकता है, जबकि यह कार्य उसे ही करना होगा. अतः हृदय से हरी का सुमिरण और सद्कार्यों में जीवन पथ पर आगे बढ़ने से ही मुक्ति का मार्ग प्रशस्त होगा. प्रस्तुत साखी में सांगरूपक और उपमा अलंकार की व्यंजना हुई है.
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Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें। |
