उजल कपड़ा पहरि करि पान सुपारी खाँहि मीनिंग कबीर के दोहे

उजल कपड़ा पहरि करि पान सुपारी खाँहि मीनिंग Ujal Kapada Pahari Kari Meaning Kabir Dohe, Kabir Ke Dohe Hindi Meaning (Hindi Bhavarth/Hindi Arth)

उजल कपड़ा पहरि करि, पान सुपारी खाँहि।
एके हरि का नाँव बिन, बाँधे जमपुरि जाँहि॥

Ujal Kapada Pahari Kari, Paan Supari Khahi,
Eke Hari Ka Naav Bin, Bandhe Jampuri Jahi.
 
उजल कपड़ा पहरि करि पान सुपारी खाँहि मीनिंग

उजल कपड़ा : साफ़ सुथरे कपड़े.
पहरि करि : पहन कर.
पान सुपारी खाँहि : पान सुपारी खाते हो.
एके : एक.
हरि का नाँव : हरी का नाम.
बिन : बगैर.
बाँधे बंधकर
जमपुरि : यमराज /यमलोक.
जाँहि : जाएगा.

पस्तुत साखी में कबीर साहेब की वाणी है की तुम क्यों इस जगत की सच्चाई को समझना नहीं चाहते हो और माया के वश में होकर साफ़ सुथरे कपडे पहनते हो, पान सुपारी खाते हो लेकिन हरी के नाम सुमिरण के अभाव में अवश्य ही तुमको बांधकर यमलोक में ले जाया जाएगा.
भाव है की एक रोज अवश्य ही तुमको नरकलोक की यातनाओं को सहन करना पड़ेगा, भले ही तुम कितना भी श्रृंगार कर लो. इन्द्रियों के प्रभाव में आकर जीव अनेकों प्रकार के स्वांग रचता है, इन्द्रियों को संतुष्ट करता है. लेकिन अंत समय में काम तो केवल हरी का नाम ही आने वाला है. समस्त सांसारिक क्रियाएं और व्यवहार यहीं पर रह जाना है. 

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें

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1 टिप्पणी

  1. Namaste