तेरी ऐसी दया,
तेरी ऐसी दया, मनमोहन हो,
तेरी ऐसी दया, मनमोहन हो,
जहाँ देखूँ वहीँ,
जहाँ देखूँ वहीँ, वृन्दावन हो,
जहाँ देखूँ वहीँ, वृन्दावन हो,
तेरी प्यारी छवि मेरे नैनन हो,
जहाँ देखूँ वहीँ वृन्दावन हो,
नैनन एक हो छवि तिहारी,
दूजे नैनंन राधे प्यारी,
बांके ये है झांकी है निराली,
जो देखे जावे बलहारी,
रूप दोनों का अति मनभावन हो,
जहाँ देखूँ वहीँ वृन्दावन हो,
सुंदर सा यमुना का तट हो,
बंसी अधर और राधे बगल हो,
राधे किरपा हुई जो तुम्हारी,
सुद्ध बुद्ध भूले हम तो सारी,
जो देखूँ नज़ारा बड़ा पावन हो,
जहाँ देखूँ वहीँ वृन्दावन हो,
वृन्दावन है धाम निराला,
यहाँ विराजे बाँसुरी वाला,
राधे कृष्ण किरपा जो बरसे तर जाये,
जो इस सुख से तरसे,
दया इनकी के हुआ मन पावन हो,
जहाँ देखूँ वहीँ वृन्दावन हो,
तेरी ऐसी दया, मनमोहन हो,
तेरी ऐसी दया, मनमोहन हो,
जहाँ देखूँ वहीँ,
जहाँ देखूँ वहीँ, वृन्दावन हो,
जहाँ देखूँ वहीँ, वृन्दावन हो,
तेरी प्यारी छवि मेरे नैनन हो,
जहाँ देखूँ वहीँ वृन्दावन हो,
नैनन एक हो छवि तिहारी,
दूजे नैनंन राधे प्यारी,
बांके ये है झांकी है निराली,
जो देखे जावे बलहारी,
रूप दोनों का अति मनभावन हो,
जहाँ देखूँ वहीँ वृन्दावन हो,
सुंदर सा यमुना का तट हो,
बंसी अधर और राधे बगल हो,
राधे किरपा हुई जो तुम्हारी,
सुद्ध बुद्ध भूले हम तो सारी,
जो देखूँ नज़ारा बड़ा पावन हो,
जहाँ देखूँ वहीँ वृन्दावन हो,
वृन्दावन है धाम निराला,
यहाँ विराजे बाँसुरी वाला,
राधे कृष्ण किरपा जो बरसे तर जाये,
जो इस सुख से तरसे,
दया इनकी के हुआ मन पावन हो,
जहाँ देखूँ वहीँ वृन्दावन हो,
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Author - Saroj Jangir
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