उल्टा बाण गगन मांय लाग्या भजन
उल्टा बाण गगन मांय लाग्या,
भाया ऊंवा वसे एक देही
उस देही मां अलख विराजे,
लवना लागी मेरी, मेरा साधू रे
तम देखो साहिब केरी लहरी
सतगुरु शबदां सूं हेरी, मेरा साधू रे
तम देखो साहिब केरी लहरी
इस देही मांय तरवर उगा,
पान ना फूल नहीं केरी
रूप नहीं मेरी छाया नहीं,
फल लगा दो केरी, मेरा साधू रे
तम देखो साहिब केरी लहरी
इस देही मांय बाजा रे वागे,
भाया, वागे रे आठों पहरी
ताल पखावज मृदंग वागे,
ने बांसुरी वागे गहरी
तम देखो साहिब केरी लहरी
इस देही मांय सात साहेरिया,
नवाणू सौ नदियाँ गहरी
आंगतिया पांगतिया रत्नागर सागर,
बीच में अमीरस भेरी, मेरा साधू रे
तम देखो साहिब केरी लहरी
अगम अगोचर निर्भय कीन्हा भाया,
नहीं जानूं ग़म गहरी
साहिब कबीर कहे सुनो मेरा साधो,
मैं निर्गुण माला फेरी, मेरा साधू रे
तम देखो साहिब केरी लहरी
'Ulta Baan' by Mooralala Marwada
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