बाँस की बाँसुरिया पे घणों इतरावे भजन

बाँस की बाँसुरिया पे घणों इतरावे कृष्णा भजन

 
बाँस की बाँसुरिया पे घणों इतरावे भजन Baans Ki Basuriya Pe Ghano Itrave Bhajan Lyrics

बाँस की बाँसुरिया पे, घणों इतरावे,
बाँस की बाँसुरिया पे घणों इतरावे, कोई सोना की जो होती,
हीरा मोत्यां की जो होती, जाणें काई करतो, काईं करतों,
बाँस की बाँसुरिया पे, घणों इतरावे,

जेल में जनम लेके घणों इतरावे, कोई महालाँ में जो होतो,
कोई अंगणां में जो होतो, जाणें काई करतो, काईं करतों,
बाँस की बाँसुरिया पे, घणों इतरावे,
देवकी रे जनम लेके घणो इतरावे, कोई यशोदा के होतो,
माँ यशोदा के जो होतो, जाणें काई करतो, काईं करतों,
बाँस की बाँसुरिया पे, घणों इतरावे,

गाय को ग्वालो होके घणो इतरावे, कोई गुरुकुल में जो होतो,
कोई विद्यालय जो होतो, जाणें काई करतो, काईं करतों,
बाँस की बाँसुरिया पे, घणों इतरावे,

गुजरियाँ की छोरियाँ पे घणों इतरावे, ब्राह्मण बाणिया की जो होती,
ब्राह्मण बणियाँ की होती जो, जाणें काई करतो, काईं करतों,
बाँस की बाँसुरिया पे, घणों इतरावे,

साँवली सुरतिया पे घणों इतरावे, कोई ग़ौरो सो जो होतो,
कोई सोणो सो जो होतो, जाणें काई करतो, काईं करतों,
बाँस की बाँसुरिया पे, घणों इतरावे,

माखन मिश्री पे कान्हा घणो इतरावे, छप्पन भोग जो होतो,
मावा मिश्री जो होतो, जाणें काई करतो, काईं करतों,
बाँस की बाँसुरिया पे, घणों इतरावे,

बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे, कोई सोना की जो होती,
हीरा मोत्या की जो होती, जाणें काई करतो, काईं करतों,
बाँस की बाँसुरिया पे, घणों इतरावे,


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Singer: Nisha Dutt Sharma 9929713611, 9818262161
Music: Sonu Sharma 9828270265, 7976175996
Lyrics: Traditional
Video: Sumit Sanwariya 9982740138
Photography: Akshit Mittal
Special Thanks: Govind Sharma
Category: Hindi Devotional (Krishna Bhajan)
Producers: Amresh Bahadur, Ramit Mathur

भजन का भाव उस आनंद और मोहित प्रेम को प्रकट करता है, जिसमें कृष्ण की छवि हर जीवन, हर मन में अलग-अलग रूप में खिलती है। बाँसुरी की मधुर धुन पर उनकी मस्ती, खेल और लीलाएँ हर जगह गूँजती हैं — चाहे कोई राजा के महल में हो, या साधारण अंगण में; चाहे जेल में जन्मा हो या देवकी के घर में। यह दर्शाता है कि कृष्ण की लीला किसी जाति, वर्ग या परिस्थिति से बंधी नहीं है। कृष्ण हर मनुष्य, हर स्थान और हर परिस्थिति में अपनी छवि के साथ मौजूद हैं। गाय के रक्षक, गुरुकुल के विद्यार्थी, स्कूल में पढ़ने वाले — हर कोई उनकी मस्ती में सम्मिलित है। उनके स्मरण से मनुष्य के भीतर बालक कृष्ण की मासूमियत और चंचलता जीवित हो जाती है।

माखन-मिश्री, छप्पन भोग और उनकी खेल-लीलाएँ जीवन के सरल सुखों और प्रेम के आनंद को व्यक्त करती हैं। यह अनुभव बताता है कि सच्चा प्रेम और भक्ति केवल भौतिक आनंद में नहीं, बल्कि उनके प्रत्येक कर्म, प्रत्येक मुस्कान और प्रत्येक दृश्य में छिपा है। 

Bans Ki Basuriya Pe Ghano Itrave (Krishna bhajan) बांस की बांसुरिया पे घणो इतरावे Nisha Dutt Sharma

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