कुमति कीच चेला भरा हिंदी मीनिंग कबीर के दोहे

कुमति कीच चेला भरा हिंदी मीनिंग Kumati Keech Chela Bhara Hindi Meaning

दोस पराए देखि करि, चला हसन्त हसन्त,
अपने याद न आवई, जिनका आदि न अंत।
 
Dos Parae Dekhi Kari, Chala Hasant Hasant,
Apane Yaad Na Aavee, Jinaka Aadi Na Ant. 
 
कुमति कीच चेला भरा हिंदी मीनिंग Kumati Keech Chela Bhara Hindi Meaning

दोहे का हिंदी मीनिंग: यह मानव का स्वभाव है की वह दूसरों की आलोचना करता है, दूसरों का मूल्यांकन करता है और मन ही मन उनके अवगुणों पर प्रशन्न होता है । वह स्वंय के बारे में कभी भी नहीं सोचता है जिसका आदि क्या है और अंत क्या है कुछ पता ही नहीं रहता है। भाव है की स्वंय का मूल्याकन किया जाना चाहिए, तभी जाकर इस जीवन का उद्देश्य स्पष्ट होगा । कबीर साहेब ने सदा ही जीव को चेताया है की स्वंय का अवलोकन करो, स्वंय का विश्लेष्ण करो तब जाकर माया जाल समझ में आने वाला है।

संत ना छाडै संतई, जो कोटिक मिले असंत।
चन्दन भुजंगा बैठिया, तऊ सीतलता न तजंत॥
Sant Na Chhaadai Santee, Jo Kotik Mile Asant.
Chandan Bhujanga Baithiya, Taoo Seetalata Na Tajant.


दोहे का हिंदी मीनिंग: सज्जन व्यक्ति अपनी सज्जनता को नहीं छोड़ता है भले ही वह करोड़ों असंत (दुष्ट) से मिले जैसे चंदन गुणी वृक्ष होता है और बहुत सुगन्धित होता है। चंदन के वृक्ष पर सांप लिपटे ही रहते हैं लेकिन फिर भी चंदन का वृक्ष अपना स्वभाव नहीं छोड़ता है, वह सांप की भाँती घातक नहीं बनता है। अतः व्यक्ति को अपनी अच्छाइयों को छोड़ना नहीं चाहिए।

कुमति कीच चेला भरा, गुरु ज्ञान जल होय।
जनम - जनम का मोरचा, पल में डारे धोया॥
Kumati Keech Chela Bhara, Guru Gyaan Jal Hoy.
Janam - Janam Ka Moracha, Pal Mein Daare Dhoya.


दोहे का हिंदी मीनिंग: गुरु की महिमा का वर्णन करते हुए साहेब की वाणी है की शिष्य में बहुत से अवगुण हैं, वह कीचड के समान है और यह जल के समान निर्मल है जो ज्ञान से शिष्य के अवगुणों को दूर करता है। भाव है की शिष्य के अवगुणों को गुरु अपने ज्ञान से दूर कर देता है।

सतगुरु तो सतभाव है, जो अस भेद बताय।
धन्य शिष धन भाग तिहि, जो ऐसी सुधि पाय॥
Sataguru To Satabhaav Hai, Jo As Bhed Bataay.
Dhany Shish Dhan Bhaag Tihi, Jo Aisee Sudhi Paay.


दोहे का हिंदी मीनिंग: सतगुरु की प्राप्ति भाग्य की बात है क्योंकि सतगुरु ही सत्य का भेद बताने वाला है, ऐसे गुरु की शरण को पाकर शिष्य धन्य हो जाता है।

सतगुरु मिला जु जानिये, ज्ञान उजाला होय।
भ्रम का भाँडा तोड़ी करि, रहै निराला होय॥
Sataguru Mila Ju Jaaniye, Gyaan Ujaala Hoy.
Bhram Ka Bhaanda Todee Kari, Rahai Niraala Hoy.


दोहे का हिंदी मीनिंग: सतगुरु की प्राप्ति ऐसे है जैसे सत्य का उजाला होना, भ्रम का भांडा फूटना। भ्रम का भांडा क्या है ? मैं हूँ और मैं सदा रहूँगा यही भ्रम है जो अज्ञान और अहम् से पैदा होता है। यह अज्ञान का भांडा गुरु ही फोड़ सकता है, भ्रम को दूर कर गुरु सतमार्ग की और व्यक्ति को अग्रसर करता है।
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