यहां रहना नहीं देस बिराना है भजन
यहां रहना नहीं देस बिराना है कबीर भजन
पत्ता कहता तरुवर से, और सुनो तरुवर मेरी बात,
उस घर की ऐसी रीत है, एक आवक एक जात,
यहां रहणा नहीं देस बिराना है,
बिराना है, बेगाना है, बिराना है रे, बेगाना है,
यहां रहना नहीं देस बिराना है,
यह सँसार कागद की पुड़िया है,
बूँद पड़े गल जाना है, हाँ, बूँद पडे गल जाना है,
यहां रहना नहीं देस बिराना है,
यह संसार काँटे की बाड़ी है,
यामें उलझ पुलझ मर जाना है,
यामें उलझ पुलझ मर जाना है,
यहां रहना नहीं देस बिराना है,
बिराना है, बेगाना है, बिराना है रे, बेगाना है,
यहां रहना नहीं देस बिराना है,
यह संसार झाड़ और झाँखड़,
आग लगे जल जाना है,
आग लगे जल जाना है,
यहां रहना नहीं देस बिराना है,
बिराना है, बेगाना है, बिराना है रे, बेगाना है,
यहां रहना नहीं देस बिराना है,
यह संसार हाट वाळा मेला है,
सौदा करी ने घर जाणा है,
सौदा करी ने घर जाणा है,
यहां रहना नहीं देस बिराना है,
बिराना है, बेगाना है, बिराना है रे, बेगाना है,
यहां रहना नहीं देस बिराना है,
कहत कबीर सुनो भाई साधो,
सतुगरु नाम ठिकाना है,
सतुगरु नाम ठिकाना है,
यहां रहना नहीं देस बिराना है,
बिराना है, बेगाना है, बिराना है रे, बेगाना है,
यहां रहना नहीं देस बिराना है,
बिराना है रे, बेगाना है,
यहां रहना नहीं देस बिराना है,
बिराना है, बेगाना है, बिराना है रे, बेगाना है,
यहां रहना नहीं देस बिराना है,
उस घर की ऐसी रीत है, एक आवक एक जात,
यहां रहणा नहीं देस बिराना है,
बिराना है, बेगाना है, बिराना है रे, बेगाना है,
यहां रहना नहीं देस बिराना है,
यह सँसार कागद की पुड़िया है,
बूँद पड़े गल जाना है, हाँ, बूँद पडे गल जाना है,
यहां रहना नहीं देस बिराना है,
यह संसार काँटे की बाड़ी है,
यामें उलझ पुलझ मर जाना है,
यामें उलझ पुलझ मर जाना है,
यहां रहना नहीं देस बिराना है,
बिराना है, बेगाना है, बिराना है रे, बेगाना है,
यहां रहना नहीं देस बिराना है,
यह संसार झाड़ और झाँखड़,
आग लगे जल जाना है,
आग लगे जल जाना है,
यहां रहना नहीं देस बिराना है,
बिराना है, बेगाना है, बिराना है रे, बेगाना है,
यहां रहना नहीं देस बिराना है,
यह संसार हाट वाळा मेला है,
सौदा करी ने घर जाणा है,
सौदा करी ने घर जाणा है,
यहां रहना नहीं देस बिराना है,
बिराना है, बेगाना है, बिराना है रे, बेगाना है,
यहां रहना नहीं देस बिराना है,
कहत कबीर सुनो भाई साधो,
सतुगरु नाम ठिकाना है,
सतुगरु नाम ठिकाना है,
यहां रहना नहीं देस बिराना है,
बिराना है, बेगाना है, बिराना है रे, बेगाना है,
यहां रहना नहीं देस बिराना है,
बिराना है रे, बेगाना है,
यहां रहना नहीं देस बिराना है,
बिराना है, बेगाना है, बिराना है रे, बेगाना है,
यहां रहना नहीं देस बिराना है,
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यहाँ रहना नहीं देश वीराना रे - Yaha Rehana Nahi Desh Veerana Re || Sant Kabir Ki Amrit Wani || Album - Abke Janam Sudharo
Song - Yaha Rehana Nahi Desh Veerana Re
Singer - Tara Singh Dodwe
Music - Prakash Chandra Mehra
Label -Unix Music
Song - Yaha Rehana Nahi Desh Veerana Re
Singer - Tara Singh Dodwe
Music - Prakash Chandra Mehra
Label -Unix Music
यह वाणी जीवन की नश्वरता और अंतिम सत्य का गम्भीर स्मरण कराती है। संसार को स्थायी समझने वाला मनुष्य भूल जाता है कि यह दुनिया केवल एक पड़ाव है — एक मेला, जहाँ आना-जाना लगा रहता है। कबीर इस अनुभूति को बहुत सरल रूप में कहते हैं; पत्ता जब पेड़ से कहता है, “अब मेरी बारी है गिरने की,” तो यह जीवन का प्रतीक बन जाता है। जैसे कागज़ की पुड़िया पानी की बूँद से गल जाती है, वैसे ही यह शरीर भी मिटने वाला है। यह अहसास भय नहीं जगाता, बल्कि जागृति देता है — कि यहाँ रुकना नहीं है, यहाँ कुछ भी अपना नहीं है; जो सच्चा घर है, वह आत्मा का, ईश्वर का है।
संसार को काँटों की बाड़ी और झाड़-झाँखड़ कहना यह संकेत देता है कि यहाँ उलझनें ही उलझनें हैं — मोह, लोभ, ईर्ष्या और अभिमान के बंधन, जिनमें फँसकर मनुष्य अपना मूल भूल जाता है। इस माया के हाट में हर कोई सौदा करता है — पर बुद्धिमान वही है जो सच्चा सौदा करे, यानि नाम को, सत्य को, सतगुरु की शरण को अपनाए। वहीं ठिकाना है जहाँ शांति है, क्योंकि वहीं से यात्रा शुरू भी होती है और वहीं समाप्त भी। इस भाव का सार यही है कि जीवन को अस्थायी मानो तो वैराग्य अपने आप खिल उठता है, और वैराग्य में जब प्रेम जुड़ता है, तो वही आत्मा अपने असली घर—परमात्मा के आँगन—में लौट जाती है।
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