पतंजलि कुटज घनवटी क्या है Patanjali Kutaj Ghanvati Kya Hai Whati is Patanjali Kutaj Ghanvati
कुटज घनवटी एक आयुर्वेदिक दवा है जो वटी (टेबलेट) फॉर्म में उपलब्ध है। यह दवा कुटज (कूड़ा) की छाल से तैयार की जाती है इसलिए इसे कुटज घनवटी के नाम से जाना जाता है। कुटज के सबंध के उल्लेखनीय है की इसका उल्लेख रसतंत्रसार एंव सिद्ध प्रयोग संग्रह के अतिरिक्त सभी आयुर्वेदा ग्रंथों से प्राप्त होता है। कुटज घनवटी का मुख्य उपयोग कोलायाटिस, पतले दस्त, आंव आना, आँतों के विकार, आंतों का इन्फेक्शन, इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम, में इस ओषधि का उत्तम परिणाम प्राप्त होते हैं।संग्रहणी विकार में दोहपर और रात्रि के भोजन के मध्य में उचित अंतराल के होते हुए भी भूख बनी रहती है लेकिन खाना ग्रहण करने के उपरान्त कुछ ही देर में मरोड़ उठने लगते हैं, ऐसी स्थिति में भोजन से पोषक तत्व प्राप्त नहीं होते हैं।
पतंजलि कुटज घनवटी में निम्न घटक द्रव्यों का उपयोग किया जाता है।
कुटज घनवटी के सेवन से निम्न फायदे/लाभ प्राप्त किये जा सकते हैं।
कुटजादि वटी क्या होती है कुटजादि वटी के फायदे Kutjaadi (Kutaj Vati ) Vati Benefits Hindi
आमातिसार (अग्रेज़ी- Diarrhea) - आमातिसार विकार में भी कुटज वटी के सेवन से लाभ मिलता है। आमातिसार में रोगी के मल में जल की मात्रा अधिक होती है और थोड़ी थोड़ी देर में उसे पेट में मरोड़ के उठने पर शौच जाना पड़ता है। अतिसार में पेट में ऐंठन, पेट में दर्द, निर्जलीकरण (पानी की कमी) दस्त और उल्टी का आना प्रमुख संकेत हैं। अतिसार में आंव का आना जिसमे कच्चा मल निकलता है और पित्तातिसार में पीले रंग के दस्त लगते हैं। आमातिसार में रोगी को मरोड़ के साथ मल निकलता है।
पतंजलि कुटज घनवटी के घटक Patanjali Kutaj Ghanvati ingredients (Ghatak)
पतंजलि कुटज घनवटी में निम्न घटक द्रव्यों का उपयोग किया जाता है।
- कुटज छाल Holarrhena antidysenterica Linn.Wall
- अतीस चूर्ण अतिविषा Aconitum heterephylum Wall
पतंजलि कुटज घनवटी के फ़ायदे Benefits of Patanjali Kutaj Ghanvati Kutaj Ghanvati ke fayade Hindi
कुटज घनवटी के सेवन से निम्न फायदे/लाभ प्राप्त किये जा सकते हैं।
कुटजादि वटी क्या होती है कुटजादि वटी के फायदे Kutjaadi (Kutaj Vati ) Vati Benefits Hindi
कुटज घनवटी का उपयोग संग्रहणी रोग के लिए Kutaj Ghanvati For Sangrahni इर्रीटेबल बाउल सिंड्रोम ( Irritable Bowel Syndrome)
कुटज घनवटी संग्रहणी विकार की रोकथाम के लिए लाभप्रद होती है। यह आँतों को मजबूत करके संग्रहणी विकार (कोलाइटिस) में लाभप्रद होती है। भोजन के तुरंत बाद उठने वाले मरोड़ की स्थिति में इस ओषधि का उपयोग प्रमुखता से किया जाता है। संग्रहणी से आशय है की पाचन तंत्र का किसी विशेष भोजन या अधिकतर भोजन के प्रति उग्र हो जाना और तुरंत ही शरीर से बाहर निकालने की क्रिया को शुरू करना। संग्रहिणी में बार बार पेट में मरोड़ उठते हैं और भोजन के अधपचे रह जाने से शरीर को भी समुचित पोषण नहीं मिल पाता है।कुटज घनवटी का उपयोग आमातिसार के लिए Kutaj Ghanvati For Amatisar (Diarrhea)
आमातिसार (अग्रेज़ी- Diarrhea) - आमातिसार विकार में भी कुटज वटी के सेवन से लाभ मिलता है। आमातिसार में रोगी के मल में जल की मात्रा अधिक होती है और थोड़ी थोड़ी देर में उसे पेट में मरोड़ के उठने पर शौच जाना पड़ता है। अतिसार में पेट में ऐंठन, पेट में दर्द, निर्जलीकरण (पानी की कमी) दस्त और उल्टी का आना प्रमुख संकेत हैं। अतिसार में आंव का आना जिसमे कच्चा मल निकलता है और पित्तातिसार में पीले रंग के दस्त लगते हैं। आमातिसार में रोगी को मरोड़ के साथ मल निकलता है।
कुटज वटी रक्ताविकार, पेचिस और ज्वरातिसार में लाभदायी होती है। कोलायाटिस, पतले दस्त, आंव आना, आँतों के सभी प्रकार के दोष में लाभकारी होती है। दस्त के साथ खून आने पर कुटज वटी के सेवन से लाभ मिलता है। कुटजवटी पाचन को दुरुस्त करने में सहायक होती है और पेट के विकारों में लाभदाई होती है। शरीर के विभिन्न भागों में आई सूजन को दूर करने में कुटज वटी के सेवन से लाभ मिलता है। अधिक पसीना आने पर भी कुटज वटी का सेवन किया जाता है।
पतंजलि कुटजघनवटी कैसे लें Doses of Patanjali Kutaj Ghanvati
कुटजघनवटी के सेवन से पूर्व आप वैद्य की सलाह लें जिससे आपके शरीर की तासीर, रोग के प्रकार, रोग की जटिलता, देश काल का प्रभाव और अन्य दवाओं के योग से इसकी निश्चित मात्रा दी जाती है। आप अपनी मर्जी से इस दवा का इस्तेमाल नहीं करे। इस हेतु आप पतंजलि चिकित्सालय/पतंजलि स्टोर्स पर वैद्य से सलाह प्राप्त कर सकते हैं जो निशुल्क है।
पतंजलि कुटज घनवटी कहाँ से खरीदें Buy Patanjali Kutaj Ghanvati
पतंजलि कुटज घनवटी को आप वैद्य के परामर्श के उपरान्त खरीद सकते हैं। यह ओषधि आपको पतंजलि स्टोर्स पर उपलब्ध हो जायेगी या आप इसे पतंजलि आयुर्वेदा की अधिकृत वेब साइट से खरीद सकते हैं जिसका लिंक निचे दिया गया है।
पतंजलि कुटज घनवटी की कीमत Patanjali Kutaj Ghanvati Price
वर्तमान में कुटज घनवटी 20 gram की कीमत रुपये MRP : Rs 47 है। नवीनतम मूल्य हेतु आप पतंजलि आयुर्वेदा की अधिकृत वेबसाइट पर विजिट करें।
कुटज एशिया और अफ्रीका के के ट्रॉपिकल औऱ सबट्रॉपिकल इलाकों में प्रधानता से पाया जाता है। भारत में यह विशेष रूप से हिमालयी इलाक़ों / पर्णपाती वनों में प्रधानता से पाया जाता है। इस पेड़ की छाल को ही कूड़े/कुटज की छाल के नाम से पहचाना जाता है जो डायरिया, इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (IBS) विकार के उपचार के लिए आयुर्वेदा में इस्तेमाल की जाती है। कुटज कटु और कषाय रस युक्त, तीक्ष्ण, अग्निदीपक और शीतवीर्य है। आयुर्वेदिक ग्रंथों में कुटज की छाल को कुटज की छाल कड़वी, चरपरी, उष्णवीर्य, पाचक, ग्राही और कफविकार, कृमि, ज्वर, दाह और पित्ताशं का नाश करने वाली बताया गया है।
कुटज घनवटी के अन्य लाभ Other Benefits of Kutaj Ghanvati
- अपच विकार में कुटज घनवटी के सेवन से शरीर के विभिन्न हिस्सों में आई सूजन सर्वांग शोथ को दूर किया जा सकता है।
- शरीर में अतिरिक्त पसीने आने के विकार में कुटज घनवटी लाभप्रद हो सकती है।
- अतिसार और रक्तातिसार में कुटज घनवटी लाभदाई होती है।
- पेचिस विकार में कुटज घनवटी लाभदाई होती है, यह दस्त को रोककर खुनी दस्त में भी अच्छे परिणाम देती है।
- ज्यादातर विकार पेट/पाचन से ही जुड़े हुए होते हैं। कुटज घनवटी के उपयोग से पित्त नियमित होता है और भोजन को पचाने में मदद मिलती है।
- आँतों के हानिकारक कीड़ो को शरीर से बाहर निकालने में कुटज घनवटी के अच्छे परिणाम होते है।
- रक्तार्श /बवासीर में फायदेमंद होती है।
- अमेबिक डाइसेंटरी जो की एंटैमोबा हिस्टोलिटिका के कारण से होता है, कुटज घनवटी के सेवन से आराम मिलता है। यह आँतों की अच्छे से सफाई करती है।
पतंजलि कुटजघनवटी कैसे लें Doses of Patanjali Kutaj Ghanvati
कुटजघनवटी के सेवन से पूर्व आप वैद्य की सलाह लें जिससे आपके शरीर की तासीर, रोग के प्रकार, रोग की जटिलता, देश काल का प्रभाव और अन्य दवाओं के योग से इसकी निश्चित मात्रा दी जाती है। आप अपनी मर्जी से इस दवा का इस्तेमाल नहीं करे। इस हेतु आप पतंजलि चिकित्सालय/पतंजलि स्टोर्स पर वैद्य से सलाह प्राप्त कर सकते हैं जो निशुल्क है।
पतंजलि कुटज घनवटी कहाँ से खरीदें Buy Patanjali Kutaj Ghanvati
पतंजलि कुटज घनवटी को आप वैद्य के परामर्श के उपरान्त खरीद सकते हैं। यह ओषधि आपको पतंजलि स्टोर्स पर उपलब्ध हो जायेगी या आप इसे पतंजलि आयुर्वेदा की अधिकृत वेब साइट से खरीद सकते हैं जिसका लिंक निचे दिया गया है।
https://www.patanjaliayurved.net/product/ayurvedic-medicine/vati/kutajghan-vati/86
पतंजलि कुटज घनवटी की कीमत Patanjali Kutaj Ghanvati Price
वर्तमान में कुटज घनवटी 20 gram की कीमत रुपये MRP : Rs 47 है। नवीनतम मूल्य हेतु आप पतंजलि आयुर्वेदा की अधिकृत वेबसाइट पर विजिट करें।
पतंजलि आयुर्वेदा का कुटज घनवटी के सबंध में कथन
KutajghanVati tablet cures diarrhoea, stomach infections, stomach ulcers and irritable bowel syndrome (IBS).Harmful viruses and microorganisms that find their way into your body through contaminated food and drinks do untold harm to your stomach and intestines. Kutajghan Vati eliminates these viruses and organisms from the digestive tract, soothes your stomach ulcers and aids in digestion.कुटज (कूड़ा ) का परिचय Introduction of Kutaj (KUDA) Hindi
कूड़ा या कुटज की छाल आयुर्वेद की अत्यंत ही प्राचीन और प्रचलित ओषधि है। अधिकतर आयुर्वेद के ग्रंथों में कुटज की छाल का परिचय प्राप्त होता है। पेट से सबंधित विकार यथा दस्त आने, पेट में मरोड़ आदि विकारों के लिए इसका उपयोग किया जाता रहा है। कूड़ा की छाल KURCHI, कुटज छाल - Holarrhena Antidysenterica-हौलोरेना ऐन्टिडिसेन्ट्रिका-वानस्पतिक नाम। (करची, कुरची, कुटकी, कोनेस्स ट्री, कुटजा, दूधी, इंद्र ) English – कुरची (Kurchi) कोनेस्स ट्री (Coness tree) टेलीचैरी ट्रीकुटज एशिया और अफ्रीका के के ट्रॉपिकल औऱ सबट्रॉपिकल इलाकों में प्रधानता से पाया जाता है। भारत में यह विशेष रूप से हिमालयी इलाक़ों / पर्णपाती वनों में प्रधानता से पाया जाता है। इस पेड़ की छाल को ही कूड़े/कुटज की छाल के नाम से पहचाना जाता है जो डायरिया, इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (IBS) विकार के उपचार के लिए आयुर्वेदा में इस्तेमाल की जाती है। कुटज कटु और कषाय रस युक्त, तीक्ष्ण, अग्निदीपक और शीतवीर्य है। आयुर्वेदिक ग्रंथों में कुटज की छाल को कुटज की छाल कड़वी, चरपरी, उष्णवीर्य, पाचक, ग्राही और कफविकार, कृमि, ज्वर, दाह और पित्ताशं का नाश करने वाली बताया गया है।
कुटज की छाल के अतिरिक्त इसके पत्ते पुष्प और बीजों का उपयोग आयुर्वेदा में प्रधानता से होता है। कुटज दो तरह के होते हैं कृष्ण कुटज, और श्वेत कुटज। इसमें एंटीडिसेंट्री, एंटीडायरियल और एंटी-एमोबिक प्रॉपर्टीज होती हैं जो इसे विशेष बनाती है और साथ ही एंटी-ऑक्सीडेंट्स और एंटी-माइक्रोबियल गुण इसके प्रभाव को अधिक बढ़ा देते हैं। कुटज का उपयोग त्वचा रोगों, बुखार, हर्पीस, एब्डोमिनल कोलिक पेन, पाइल्स और थकान आदि विकारों के उपचार में भी किया जाता है। कुटज का उपयोग आयुर्वेद में जहाँ अतिसार के लिए किया जाता है वहीँ यह घुटनों के दर्द में भी प्रभावी ओषधि है।
कुटज का उपयोग निम्न रोगों के उपचार के लिए किया जाता है।
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कुटज का उपयोग निम्न रोगों के उपचार के लिए किया जाता है।
- पाचन तंत्र विकारों को दूर करने के लिए कुटज एक अहम् ओषधि है। यह दस्त रोकने, मरोड़ की रोकथाम करने के अतिरिक्त पाचन को भी दुरुस्त करने का कार्य करती है। पित्तातिसार भी इसके सेवन से लाभ मिलता है।
- रक्तज प्रवाहिका विकार में भी कुटज की छाल के चूर्ण को छाछ के साथ लेने से लाभ मिलता है।
- कुटज चूर्ण को शहद के साथ लेने से खूनी बवासीर में लाभ मिलता है।
- डायबिटीज रोगियों के लिए भी कुटज का चूर्ण लाभकारी होता है। कुटज को रात भर भिगो कर सुबह इसके पानी के सेवन से लाभ मिलता है।
- कुष्ठ रोग के निदान के लिए भी कुटज चूर्ण का सेवन लाभकारी होता है।
- जोड़ो के दर्द त्वचा के संक्रमण में भी कुटज लाभकारी होता है।
- शरीर में आई सूजन को दूर करने के लिए भी कुटज लाभकारी होता है।
- कुटज पित्त शामक एवं शीत गुण प्रधानता लिए होता है।
- आयुर्वेद में कुटज को पौरुषत्व को बढ़ाने वाला माना जाता है। इसके सेवन से क्षीणता दूर होती है और पौरुषत्व बढ़ता है।
- कुटज में कई पौष्टिक तत्व होते हैं, कुपोषित लोगों के लिए यह लाभदाई होती है।
- कुटज के सेवन से आर्थराइटिस सुजन व दर्द में आराम मिलता है।
- कुटज में कई प्रकार के हीलिंग रसायन होते हैं जिसके कारण इसका उपयोग त्वचा संक्रमण रोकने और घाव को भरने के लिए किया जाता है। इसके महीन चूर्ण को सफ़ेद दाग पर लगाने से सफ़ेद दाग को दूर करने में सहायता मिलती है।
- पित्तज प्रमेह, आंवरक्त (पेचिश), उपदंशरक्त, प्रदररक्तातिसार विकार में इसके सेवन से लाभ मिलता है।
- ज्वर को रोकने में भी कुटज लाभदाई होती है।
- कुटज की छाल का काढ़ा बनाकर लेने से दांत दर्द में राहत मिलती है। इसके महीन चूर्ण को दांतों पर मंजन करने से पायरिया दूर होता है।
- कुटज की छाल के सेवन से उदर कृमि शरीर से बाहर मल के साथ निकल जाते हैं।
- कुटज की छाल को दही के साथ लेने पर पथरी विकार दूर होता है।
- रक्त अतिसार / रक्तार्श में इसकी छाल को सौंठ चूर्ण के साथ भिगो कर सुबह कपड़ छान करके इसके पानी पीने से लाभ मिलता है।
- कुटज के बीजों के चूर्ण को पानी के साथ मिला कर इसके पेस्ट को सफ़ेद दागों पर लगाने से सफ़ेद दाग (Leucoderma) में फायदा मिलता है।
- कुटज की छाल के चूर्ण के सेवन से दस्त Colitis में लाभ मिलता है।
- कुटज की छाल के चूर्ण से पाचन शक्ति बढ़ती है।
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The author of this blog, Saroj Jangir (Admin),
is a distinguished expert in the field of Ayurvedic Granths. She has a
diploma in Naturopathy and Yogic Sciences. This blog post, penned by me,
shares insights based on ancient Ayurvedic texts such as Charak
Samhita, Bhav Prakash Nighantu, and Ras Tantra Sar Samhita. Drawing from
an in-depth study and knowledge of these scriptures, Saroj Jangir has
presented Ayurvedic Knowledge and lifestyle recommendations in a simple
and effective manner. Her aim is to guide readers towards a healthy life
and to highlight the significance of natural remedies in Ayurveda.
सन्दर्भ : Source
- Review of Holarrhena antidysenterica (L.) Wall. ex A. DC.: Pharmacognostic, Pharmacological, and Toxicological Perspective
- Pharmacological basis for the medicinal use of Holarrhena antidysenterica in gut motility disorders
- Holarrhena antidysenterica as a resistance modifying agent against Acinetobacter baumannii: Its effects on bacterial outer membrane permeability and efflux pumps
- (National Center for Biotechnology Information)