बैठ्यो मंद मंद मुस्कावे म्हारां साँवरिया सरकार खाटू नगरी में लिरिक्स Baithyo Mand Mand Muskaave Lyrics
बैठ्यो मंद मंद मुस्कावे म्हारां साँवरिया सरकार खाटू नगरी में लिरिक्स Baithyo Mand Mand Muskaave Lyrics
बैठ्यो मंद मंद मुस्कावे,
म्हारां साँवरिया सरकार खाटू नगरी में,
सज धज बनड़ो सो लागे है,
म्हारो लख दातार, खाटू नगरी में।
बैठ्यो मंद मंद मुस्कावे महारा लखदातार,
बैठ्यो मन्द मन्द मुस्कावे,
म्हारां साँवरिया सरकार खाटू नगरी में,
खूब गजब श्रृंगार हुयो है,
खाटू वाळे श्याम को,
रंग बिरंगा फूलां महके,
इतर री बौछार खाटू नगरी में
बैठ्यों मन्द मन्द मुस्कावे,
म्हारां साँवरिया सरकार, खाटू नगरी में,
अरे घुँघर आळा बाल है,
जापे मोर मुकट की शोभा जी,
माथे पे केसर को टीको,
मार रहियो लशकार, खाटू नगरी में,
बैठ्यो मन्द मन्द मुस्कावे,
म्हारां साँवरिया सरकार खाटू नगरी में,
घेर घुमेर है पहरे बाबा सतरंगी,
म्हारा रंग रसिया
श्याम धनी होवे सुशोभित,
गल मोतियन हार खाटू नगरी में
बैठ्यो मन्द मन्द मुस्कावे,
म्हारां साँवरिया सरकार खाटू नगरी में,
इतनो सोहणो लागे कदे ना,
जितनो लगता आज जी
धन्य भयो कुंदन अकेला,
कर पावन दीदार ,खाटू नगरी में
बैठ्यो मन्द मन्द मुस्कावे,
म्हारां साँवरिया सरकार खाटू नगरी में,
बैठ्यो मंद मंद मुस्कावे,
म्हारां साँवरिया सरकार खाटू नगरी में,
सज धज बनड़ो सो लागे है,
म्हारो लख दातार, खाटू नगरी में।
बैठ्यो मंद मंद मुस्कावे महारा लखदातार,
बैठ्यो मन्द मन्द मुस्कावे,
म्हारां साँवरिया सरकार खाटू नगरी में,
म्हारां साँवरिया सरकार खाटू नगरी में,
सज धज बनड़ो सो लागे है,
म्हारो लख दातार, खाटू नगरी में।
बैठ्यो मंद मंद मुस्कावे महारा लखदातार,
बैठ्यो मन्द मन्द मुस्कावे,
म्हारां साँवरिया सरकार खाटू नगरी में,
खूब गजब श्रृंगार हुयो है,
खाटू वाळे श्याम को,
रंग बिरंगा फूलां महके,
इतर री बौछार खाटू नगरी में
बैठ्यों मन्द मन्द मुस्कावे,
म्हारां साँवरिया सरकार, खाटू नगरी में,
अरे घुँघर आळा बाल है,
जापे मोर मुकट की शोभा जी,
माथे पे केसर को टीको,
मार रहियो लशकार, खाटू नगरी में,
बैठ्यो मन्द मन्द मुस्कावे,
म्हारां साँवरिया सरकार खाटू नगरी में,
घेर घुमेर है पहरे बाबा सतरंगी,
म्हारा रंग रसिया
श्याम धनी होवे सुशोभित,
गल मोतियन हार खाटू नगरी में
बैठ्यो मन्द मन्द मुस्कावे,
म्हारां साँवरिया सरकार खाटू नगरी में,
इतनो सोहणो लागे कदे ना,
जितनो लगता आज जी
धन्य भयो कुंदन अकेला,
कर पावन दीदार ,खाटू नगरी में
बैठ्यो मन्द मन्द मुस्कावे,
म्हारां साँवरिया सरकार खाटू नगरी में,
बैठ्यो मंद मंद मुस्कावे,
म्हारां साँवरिया सरकार खाटू नगरी में,
सज धज बनड़ो सो लागे है,
म्हारो लख दातार, खाटू नगरी में।
बैठ्यो मंद मंद मुस्कावे महारा लखदातार,
बैठ्यो मन्द मन्द मुस्कावे,
म्हारां साँवरिया सरकार खाटू नगरी में,
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