कबीर बादल प्रेम का हिंदी मीनिंग Kabir Baadal Prem Ka Hindi Meaning Kabir Ke Dohe Hindi Bhavarth, Hindi Arth Sahit.
कबीर बादल प्रेम का, हम परि बरष्या आइ।
अंतरि भीगी आत्माँ हरी भई बनराइ॥
Kabeer Baadal Prem Ka, Ham Pari Barashya Aai.
Antari Bheegee Aatmaan Haree Bhee Banarai.
कबीर दोहा शब्दार्थ : Word Meaning of Kabir Doha
बादल प्रेम का-भक्ति/ज्ञान का रस। हम परि - मुझ पर।
बरष्या आइ- मुझ पर आकर बरसने लगा है।
अंतरि भीगी आत्माँ - साधक अन्तरात्मा तक ज्ञान की बरसात से ओतप्रोत हो गया है।
हरी भई बनराइ- जंगल हरे भरे हो गए हैं (साधक ज्ञान से परिपूर्ण हो गया है )
कबीर दोहे का हिंदी मीनिंग Kabir Doha Hindi Meaning
बरष्या आइ- मुझ पर आकर बरसने लगा है।
अंतरि भीगी आत्माँ - साधक अन्तरात्मा तक ज्ञान की बरसात से ओतप्रोत हो गया है।
हरी भई बनराइ- जंगल हरे भरे हो गए हैं (साधक ज्ञान से परिपूर्ण हो गया है )
कबीर दोहे का हिंदी मीनिंग Kabir Doha Hindi Meaning
गुरु के उपदेशों से/ज्ञान से भक्ति और ज्ञान की बरसात होने लगी है। इस ज्ञान रूपी बरसात में साधक का तन मन सभी तृप्त हो गए हैं। गुरु की कृपा से प्रभु प्रेम रूपी बादल शिष्य पर आकर बरसने लगा जिससे विषय विकार में दग्ध साधक भीग गया है और उसके हृदय रूपी वन में फिर से हरी रस रूपी बरसात से हरियाली छा गई है।
साधक की आत्मा (हृदय ) असार, अशुभ और अपवित्र तत्वो से भरी पड़ी थी। प्रेम की बरसात के जल में वह अब पूर्ण रूप से शुद्ध हो गई है। भक्ति रूपी जल से संचित होकर उसका हृदय अब हरा भरा हो गया है। साधक माया के भ्रम का शिकार होकर सांसारिक विषय वासनाओं की अग्नि में दग्ध था। भगवत प्रेम रूपी बरसात में साधक की अग्नि शांत हो गई है और भक्ति रूपी वन पुनः हरा भरा हो गया है।
गुरु के उपदेशों से प्रेम और ज्ञान की बरसात होने लगी है। साधक का तन, मन सभी तृप्त हो गए हैं। गुरु की कृपा से प्रभु प्रेम रूपी बादल शिष्य पर आकर बरसने लगा है जिससे विषय विकार में दग्ध साधक भीग गया है और उसके हृदय रूपी वन में फिर से हरी रस रूपी बरसात से हरियाली छा गई है।
पहले चरण में, कबीर दास जी कहते हैं कि प्रेम का बादल हमारे ऊपर बरस आया है। इस बादल का अर्थ है गुरु के उपदेश या ज्ञान। गुरु के उपदेशों से हमारे मन में प्रेम और ज्ञान की बरसात होने लगी हैइस ज्ञान रूपी बरसात में हमारा अंतर भीग गया है। अंतर का अर्थ है हृदय। हृदय रूपी वन में प्रेम और ज्ञान की हरियाली छा गई है।
इस दोहे में कबीर दास जी प्रेम और ज्ञान की महिमा का वर्णन कर रहे हैं। वे कहते हैं कि गुरु के उपदेशों से मनुष्य के जीवन में प्रेम और ज्ञान की बरसात होती है। इस बरसात से मनुष्य का हृदय रूपी वन हरियाली से भर जाता है। हमें गुरु के उपदेशों का पालन करना चाहिए। गुरु के उपदेशों से हमें प्रेम और ज्ञान की प्राप्ति होती है। प्रेम और ज्ञान से हमारा जीवन धन्य होता है।
पहले चरण में, कबीर दास जी कहते हैं कि प्रेम का बादल हमारे ऊपर बरस आया है। इस बादल का अर्थ है गुरु के उपदेश या ज्ञान। गुरु के उपदेशों से हमारे मन में प्रेम और ज्ञान की बरसात होने लगी हैइस ज्ञान रूपी बरसात में हमारा अंतर भीग गया है। अंतर का अर्थ है हृदय। हृदय रूपी वन में प्रेम और ज्ञान की हरियाली छा गई है।
इस दोहे में कबीर दास जी प्रेम और ज्ञान की महिमा का वर्णन कर रहे हैं। वे कहते हैं कि गुरु के उपदेशों से मनुष्य के जीवन में प्रेम और ज्ञान की बरसात होती है। इस बरसात से मनुष्य का हृदय रूपी वन हरियाली से भर जाता है। हमें गुरु के उपदेशों का पालन करना चाहिए। गुरु के उपदेशों से हमें प्रेम और ज्ञान की प्राप्ति होती है। प्रेम और ज्ञान से हमारा जीवन धन्य होता है।
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