म्हारों प्रणाम बांके बिहारी जी लिरिक्स Mharo Pranaam Banke Bihari Meaning

म्हारों प्रणाम बांके बिहारी जी लिरिक्स Mharo Pranaam Banke Bihari Ji Lyrics Krishna Bhajan ( Meera Bhajan )

श्री बांके बिहारी (श्री कृष्ण) (Mharo Pranaam Banke Bihari Meaning) को हमारा प्रणाम/वंदन। जिनके मस्तक पर मोर पंखों से बना हुआ सुन्दर मोर मुकुट शोभित है। मस्तक पर तिलक शोभित है और कानों में कुण्डल हैं। ऐसे काली अलकावलि धारण करने वाले श्री कृष्ण को बाई मीरा का प्रणाम। श्री कृष्ण अपने होठों पे मधुर बाँसुरी बजाते हैं और गोवर्धन पर्वत को अपनी अंगुली पर धारण करने वाले हैं, उन्हें मेरा सादर प्रणाम।
 
म्हारों प्रणाम बांके बिहारी जी लिरिक्स Mharo Pranaam Banke Bihari Meaning
 
म्हारों प्रणाम, बांके बिहारी जी,
म्हारों प्रणाम, बांके बिहारी जी,
प्रणाम, प्रणाम।


मोर मुकुट मात्थ्या तिलक बिराज्या,
कुंडल अलका कारी को,
बांके बिहारी जी,
म्हारों प्रणाम, बांके बिहारी जी,
प्रणाम, प्रणाम।

अधर मधुर धर बंसी बजावै,
रीझी रिझावा बृज नारी जी,
बांके बिहारी जी,
म्हारों प्रणाम, बांके बिहारी जी,
प्रणाम, प्रणाम।

या छब देख्या मोह्या मीरा,
मोहन गिरिवर धारी जी,
बांके बिहारी जी,
म्हारों प्रणाम, बांके बिहारी जी,
प्रणाम, प्रणाम। 

मीरा बाई भजन / पद के शब्दार्थ : Word Meaning of Meera Baai Pad Bhajan Hindi Mharo Pranaam Banke Bihari Meaning
म्हारों प्रणाम-मेरा प्रणाम/वंदन।
बांके बिहारी जी-श्री कृष्ण।
मोर मुकुट-श्री कृष्ण जी के मस्तक पर मोर पंख से सुसज्जित मुकुट।
मात्थ्या तिलक-मस्तक पर तिलक।
बिराज्या-शोभित।
कुंडल-कानों के कुण्डल।
अलका कारी -काली अलकावलि धारण करने वाले, श्री कृष्ण।
अधर मधुर धर -होठों पर धर कर।
बंसी बजावै-बाँसुरी बजाने वाले, श्री कृष्ण।
रीझी रिझावा बृज नारी जी-बृज की युवतिओं को मोहित करने वाली (मुरली)
या छब देख्या-यह छवि देखकर।
मोह्या मीरा-बाई मीरा मोहित हो गई है।
मोहन गिरिवर धारी जी-मोहन, गोवर्धन पर्वत को अंगुली पर उठाने वाले, श्री कृष्ण।
हे बांके बिहारी जी, आपको सादर प्रणाम, 
 

Aarya Ambekar Sings Mharo Pranam Banke Bihari Ji – Meera Song | Popular Meera Bhajan With Lyrics
म्हारों प्रणाम बांके बिहारी जी लिरिक्स Mharo Pranaam Banke Bihari Ji Lyrics
मूल पद : यह पद अधिकतर निम्न प्रकार से प्राप्त होता है।
हमरो प्रणाम बांके बिहारी को ।। टेक ।।
मोर मुगट माथे तिलक बिराजै, कुंडल अलकाकारी को।
अधर मधुर पर बंशी बजावै, रीझ रिझावै राधाप्‍यारी को।
यह छबि देख मगन भई मीराँ, मोहन गिरवरधारी को।


Mhaaron Pranaam, Baanke Bihaaree Jee,
Mhaaron Pranaam, Baanke Bihaaree Jee,
Pranaam, Pranaam.

Mor Mukut Maatthya Tilak Biraajya,
Kundal Alaka Kaaree Ko,
Baanke Bihaaree Jee,
Mhaaron Pranaam, Baanke Bihaaree Jee,
Pranaam, Pranaam.

Adhar Madhur Dhar Bansee Bajaavai,
Reejhee Rijhaava Brj Naaree Jee,
Baanke Bihaaree Jee,
Mhaaron Pranaam, Baanke Bihaaree Jee,
Pranaam, Pranaam.

Ya Chhab Dekhya Mohya Meera,
Mohan Girivar Dhaaree Jee,
Baanke Bihaaree Jee,
Mhaaron Pranaam, Baanke Bihaaree Jee,
Pranaam, Pranaam. 

1 टिप्पणी

  1. मीरा जी ने राज्य से आये उन्हें लेने राज पुरोहित जी को देख बहुत असमंजस मे यह भजन आर्तनाद बन कर निकल कहते हैं।मेरे जी राजपुरोहित की अवज्ञा नही कर सकती थीं।और अपने बांके बिहारी को भी छोड़ कर नही जा सकती थीं।तब उन्होंने अपने कान्हा जी के सामने ये भजन गया और उनके विग्रह में लीन हो गईं।