मन लागा उनमन सों उन मन मनहि बिलग मीनिंग Man Laaga Unman So Kabir Ke Dohe Hindi Arth
मन लागा उनमन सों, उन मन मनहि बिलग।
लूँण बिलगा पाणियाँ, पाँणीं लूँण बिलग॥
लूँण बिलगा पाणियाँ, पाँणीं लूँण बिलग॥
Man Laga Unman So, Un Manahi Bilag,
Lun Bilaga Paniya, Pani Lun Bilag.
- मन लागा : मन
- उनमन : शून्य शिखर.
- सों : उससे.
- मनहि बिलग : मन में विलय हो गया है, एकाकार हो गया है.
- लूँण : नमक.
- पाँणीं : पानी.
कबीर दोहा हिंदी मीनिंग - मन उनमनी अवस्था में मन लग चूका है, मन का मन में विलय हो गया है. जैसे पानी नमक में मिल चूका है और दूसरी तरफ विलग का आशय अलग रखने से भी है. भाव है की जैसे नमक में पानी मिल गया है वैसे ही आत्मा परमात्मा में लीन हो गई है. आगे भाव है की जैसे पानी से नमक को अलग नहीं किया जा सकता है वैसे ही आत्मा का पूर्ण परमात्मा से विलय हो जाने पर पुनः उसे अलग कर पाना संभव नहीं है क्योंकि दोनों एकाकार हो गए हैं. दोनों की एक ही पहचान बन गई है. इस दोहे में साहेब ने स्पष्ट किया है की इश्वर से मन का लग जाना ही एकाकार हो जाना है.
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