मन लागा उनमन्न सो Man Laaga Unman So Meaning
देख्या चंद बिहूँणाँ, चाँदिणाँ तहाँ अलख निरंजन राइ॥
Man Laga UnMan So, Gagan Pahucha Jaai,
Dekhya Chandbihuna, Chanina Taha Alakh Niranjan Raai.
- मन लागा -चित्त लग गया है.
- उनमन्न - उन्मना से.
- सों- से.
- गगन पहुँचा -शून्य ब्रह्माण्ड में पहुँच गया है.
- देख्या चंद - चाँद को देखा।
- बिहूँणाँ -के बगैर।
- चाँदिणाँ - चांदनी।
- तहाँ -जहाँ।
- अलख -जो अलक्ष्य है, पूर्ण ब्रह्म।
- निरंजन -ईश्वर।
- अलख निरंजन : निराकार ब्रह्म, जो ज्ञान से परिपूर्ण और प्रकाशित है।
कबीर दोहा/साखी हिंदी मीनिंग कबीर साहेब इन पंक्तियों में वर्णन करते हैं की साधक अव उन्मनी अवस्था में है और शून्य सहस्त्र कमल में पंहुच गया है. उन्मनी अवस्था से आशय है की वह मायाजनित आकर्षण, तृष्णा को त्याग चूका है. यह शून्य की स्थिति है जहाँ पर निराकार ब्रह्म के दर्शन हुए हैं. ऐसी अवस्था में साहेब ने देखा की बिना चांदनी ही प्रकाश उत्पन्न हो रहा है. चंद बिहूना से आशय है की ऐसा प्रकाश, चाँद का प्रकाश जिसका कोई आधार नहीं है. अलख से आशय त्रिगुण से अलगाव होता है. ऐसी अवस्था में पंहुचने पर साधक के लिए कोई सांसारिक इच्छाएं महत्त्व नहीं रखती है. वह संसार में रहकर भी संसार में नहीं रहता है.
मान सम्मान, प्रतिष्ठा, धन आदि उसके लिए कोई महत्त्व नहीं रखते हैं. शून्य की यही स्थिति नुनमनी अवस्था है, जहाँ पर किसी भी वस्तु का कोई महत्त्व, पहचान नहीं रहती है.
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