तत पाया तन बीसरया जब मनी धरिया ध्यान कबीर के दोहे

तत पाया तन बीसरया जब मनी धरिया ध्यान Tat Paaya Tan Bisaraya Kabir Ke Dohe

तत पाया तन बीसर्‌या, जब मनी धरिया ध्यान।
तपनि गई सीतल भया, जब सुनि किया असनान॥

Tat Paaya Tan Bisarya, Jab Mani Dhariya Dhyaan,
Tapani Gai Sheetal Bhaya, Jab Suni Kiya Asnaan.
 
तत पाया तन बीसरया जब मनी धरिया ध्यान हिंदी मीनिंग Tat Paaya Tan Bisaraya Hindi Meaning Kabir Ke Dohe Hindi Me
 

कबीर दोहा हिंदी शब्दार्थ Kabir Doha Hindi Word Meaning.

तत पाया -भक्ति, पूर्ण परमात्मा रूपी तत्व।
तन - देह, शरीर।
बीसर्‌या : सुध बुध खो देना, भूल जाना।
मनि - मन, चित्त, हृदय में।
धरिया ध्यान - ध्यान लगाया।
तपनि गई- समस्त संताप दूर हो गए, जलन दूर हो गई।
सीतल भया : चित्त में शीतलता, ठंडक आई।
सुनि : शून्य।
असनान -स्नान।

कबीर दोहा मीनिंग हिंदी Kabir Doha Hindi meaning

सहज रूप से पूर्ण परमेश्वर में ध्यान लगाने पर स्वतः ही चित्त के संताप मिटकर उसमे शीतलता आ गई है। हरी भक्ति से इस नश्वर देह की सुध भी जाती रही, अब इस देह की किसी को खबर नहीं रही है। शून्य में स्नान करने से आशय है की सहस्त्रसार, योग की चरम स्थिति को प्राप्त करना है। जब पूर्ण परम ब्रह्म में हृदय का ध्यान लगा तो शरीर का संताप दूर हो गया है। 

तन के समस्त दुःख दूर हो गए। ताप से आशय है की समस्त दुःख दर्द यथा मानसिक और दैहिक दुःख शांत हो गए हैं। जब तक व्यक्ति सांसारिक कार्यों में लिप्त रहता है, मोह माया के चक्कर में लगा रहता है उसे शान्ति नहीं मिल पाती है। शान्ति के लिए उसे आवश्यक रूप से भक्ति में लगना ही होता है। इस स्थिति को प्राप्त करने पर व्यक्ति संसार में रहकर भी संसार से, संसार की गतिविधियों से मुक्त हो जाता है। यही भक्ति की सहज अवस्था है। 
 
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