सब जग सूता नींद भरि संत न आवै नींद हिंदी मीनिंग Sab Jag Suta Meaning : Kabir Ke Dohe Ka Hindi Meaning
सब जग सूता नींद भरि, संत न आवै नींद।
काल खड़ा सिर ऊपरै, ज्यौं तौरणि आया बींद॥
Sab Jag Suta Nind Bhari, Sant Na Aave Neend,
Kal Khada Sir Upare, Jyo Torani Aaya Beend.
कबीर के दोहे का हिंदी में अर्थ / भावार्थ Kabir Doha Hindi Meaning
कबीर साहेब इस दोहे में सन्देश देते हैं की ज्ञानी व्यक्ति जागृत है वह सचेत है और सारा संसार अज्ञान की निंद्रा में सो रहा है। समस्त संसार अज्ञान की निंद्रा में सो रहा है। लेकिन संत सचेत है इसलिए उसे नींद नहीं आ रही है। संत को पता है की काल उसके सर पर खड़ा है जैसे तोरण द्वार पर बींद (दूल्हा ) आ रहा है। आशय है की जीवात्मा रूपी दुल्हन को काल अपने साथ उसके असली घर पर लेकर जाएगा, जीवात्मा का असल घर यह जगत नहीं है। इस दोहे में काव्यलिंग अलंकार का उपयोग हुआ है।
इस दोहे में कबीरदास जी ने संसार के दो वर्गों का चित्रण किया है। एक वर्ग है जो संसार में लीन होकर नींद में सो रहा है और दूसरा वर्ग है जो ईश्वर की प्राप्ति में लीन होकर जागृत है। पहली पंक्ति में कबीर दास जी कहते हैं कि सारा संसार नींद में सो रहा है। इसका अर्थ है कि लोग सांसारिक मोह-माया में डूबे हुए हैं और उन्हें ईश्वर की प्राप्ति का कोई ध्यान नहीं है। वे जीवन के वास्तविक अर्थ को समझ नहीं पा रहे हैं। संत लोग जागृत हैं। इसका अर्थ है कि वे ईश्वर की प्राप्ति के लिए प्रयासरत हैं। वे सांसारिक मोह-माया से मुक्त हैं और उन्हें ईश्वर का भय नहीं है।
अतः इस दोहे का आशय है की एक रोज इस जगत को छोड़कर सभी को जाना है इसलिए हमें जागृत रहकर विषय विकार से दूर रहकर इश्वर का सुमिरन करना चाहिए.