गुरु बिना घोर अँधेरा रे संतो लिरिक्स Guru Bina Ghor Andhera Lyrics, Rajasthani Guru Bhajan Meaning : Guru Mahima Bhajan by Prakash Mali
गुरु देवन के देव हो,
ने आप बड़े जगदीश,
बेडी भवजल बीच में,
गुरु थारो विशवास।
सो सो चंदा उगवे,
सूरज तपे हजार,
इतरो चानणो होवता,
गुरु बिन घोर अंधार।
गुरु बिना घोर अँधेरा रे संतो,
गुरु बिना घोर अँधेरा जी,
बिना दीपक मंदिर सूनों,
नहीं वस्तु का बेरा,
गुरु बिना घोर अँधेरा रे संतो।
जब तक कन्या रहे कुँवारी,
नहीं पुरुष का बेरा जी,
आठों पहर आळस माहीं खेले,
खेले खेल घणेरा
गुरु बिना घोर अँधेरा रे संतो,
गुरु बिना घोर अँधेरा जी,
बिना दीपक मंदिर सुनों,
नहीं वस्तु का बेरा,
गुरु बिना घोर अँधेरा रे संतो।
मिरगे री नाभ बसे कस्तूरी,
नहीं मिरगे को बेरा जी,
गाफिल होकर फिरे जंगल मे,
सूंघे घास घनेरा जी,
गुरु बिना घोर अँधेरा रे संतो,
गुरु बिना घोर अँधेरा जी,
बिना दीपक मंदिर सुनों,
नहीं वस्तु का बेरा,
गुरु बिना घोर अँधेरा रे संतो।
जब तक आग रहवे पत्थर में,
नहीं पत्थर को बेरा जी,
चकमक चोटा लागे शब्द री,
फेंके आग चंपेरा जी,
गुरु बिना घोर अँधेरा रे संतो,
गुरु बिना घोर अँधेरा जी,
बिना दीपक मंदिर सुनों,
नहीं वस्तु का बेरा,
गुरु बिना घोर अँधेरा रे संतो।
रामानंद मिल्या गुरू पूरा,
दिया शबद टकशाला,
कहत कबीर सुणों भई संतों,
अब मिट गया भरम अँधेरा,
गुरु बिना घोर अँधेरा रे संतो,
गुरु बिना घोर अँधेरा जी,
बिना दीपक मंदिर सुनों,
नहीं वस्तु का बेरा,
गुरु बिना घोर अँधेरा रे संतो।
गुरु बिना घोर अँधेरा रे संतो,
गुरु बिना घोर अँधेरा जी,
बिना दीपक मंदिर सुनों,
नहीं वस्तु का बेरा,
गुरु बिना घोर अँधेरा रे संतो।
ने आप बड़े जगदीश,
बेडी भवजल बीच में,
गुरु थारो विशवास।
सो सो चंदा उगवे,
सूरज तपे हजार,
इतरो चानणो होवता,
गुरु बिन घोर अंधार।
गुरु बिना घोर अँधेरा रे संतो,
गुरु बिना घोर अँधेरा जी,
बिना दीपक मंदिर सूनों,
नहीं वस्तु का बेरा,
गुरु बिना घोर अँधेरा रे संतो।
जब तक कन्या रहे कुँवारी,
नहीं पुरुष का बेरा जी,
आठों पहर आळस माहीं खेले,
खेले खेल घणेरा
गुरु बिना घोर अँधेरा रे संतो,
गुरु बिना घोर अँधेरा जी,
बिना दीपक मंदिर सुनों,
नहीं वस्तु का बेरा,
गुरु बिना घोर अँधेरा रे संतो।
मिरगे री नाभ बसे कस्तूरी,
नहीं मिरगे को बेरा जी,
गाफिल होकर फिरे जंगल मे,
सूंघे घास घनेरा जी,
गुरु बिना घोर अँधेरा रे संतो,
गुरु बिना घोर अँधेरा जी,
बिना दीपक मंदिर सुनों,
नहीं वस्तु का बेरा,
गुरु बिना घोर अँधेरा रे संतो।
जब तक आग रहवे पत्थर में,
नहीं पत्थर को बेरा जी,
चकमक चोटा लागे शब्द री,
फेंके आग चंपेरा जी,
गुरु बिना घोर अँधेरा रे संतो,
गुरु बिना घोर अँधेरा जी,
बिना दीपक मंदिर सुनों,
नहीं वस्तु का बेरा,
गुरु बिना घोर अँधेरा रे संतो।
रामानंद मिल्या गुरू पूरा,
दिया शबद टकशाला,
कहत कबीर सुणों भई संतों,
अब मिट गया भरम अँधेरा,
गुरु बिना घोर अँधेरा रे संतो,
गुरु बिना घोर अँधेरा जी,
बिना दीपक मंदिर सुनों,
नहीं वस्तु का बेरा,
गुरु बिना घोर अँधेरा रे संतो।
गुरु बिना घोर अँधेरा रे संतो,
गुरु बिना घोर अँधेरा जी,
बिना दीपक मंदिर सुनों,
नहीं वस्तु का बेरा,
गुरु बिना घोर अँधेरा रे संतो।
सो सो चंदा उगवे, सूरज तपे हजार : यदि सो सो चन्द्रमा भी उग आएं और सूरज भी पूर्ण रूप से तपने लगे (प्रकाशित हो उठे)
इतरो चानणो होवता, गुरु बिन घोर अंधार : इतना प्रकाश होने के बावज़ूद भी गुरु के बग़ैर अँधेरा ही होता है।
इतरो-इतना, चानणों -प्रकाश, उजाला, अंधार -अँधेरा।
गुरु बिना घोर अँधेरा रे संतो : गुरु (गुरु द्वारा प्रदत्त ज्ञान प्रकाश) के अभाव में जीवन में अत्यंत ही अधेरा होता है. गुरु ज्ञान के अभाव में जीवात्मा अज्ञान के अँधेरे में ही पड़ी रहकर व्यर्थ ही जीवन को नष्ट करती है. अँधेरा अज्ञान का है जो गुरु के अभाव में व्याप्त रहता है।
गुरु बिना : बगैर गुरु के, घोर अँधेरा -अत्यंत ही गहन अँधेरा होता है. रे संतो- संतजन.
बिना दीपक मंदिर सूनों : उदाहरण के लिए जैसे मंदिर दीपक के बिना सूना होता है, शोभामान नहीं होता है.
नहीं वस्तु का बेरा : वस्तु से आशय तत्वज्ञान से है. गुरु के अभाव में जीवन का उद्देश्य विस्मृत होता है और जीवन गाफिल होता है.बेरा-ज्ञान।
जब तक कन्या रहे कुँवारी : जब तक कन्या का विवाह नहीं हो जाता है.
नहीं पुरुष का बेरा जी : उसे अपने स्वामी का बोध नहीं हो पाता है. भाव है की जैसे विवाह के उपरान्त ही स्वामी/पति के विषय में बोध होता है, ऐसे ही गुरु की प्राप्ति के उपरान्त ही व्यक्ति को जीवन के बारे में पता चल पाता है.
आठों पहर आळस माहीं खेले, खेले खेल घणेरा : वह आठों पहर, पुरे समय में आलस में रहती है और अनेकों खेल खेलती है. खेल से आशय है की वह गाफिल होकर व्यर्थ के काम करती है. खेल-मायाजनित क्रियाएं।
मिरगे री नाभ बसे कस्तूरी : मृग की नाभि में ही कस्तूरी होती है लेकिन वह इससे अबोध होती है.
नहीं मिरगे को बेरा जी : लेकिन मृग/हिरन को इस विषय में पता नहीं होता है . बेरा-पता होना.
गाफिल होकर फिरे जंगल मे, सुंघे घास घनेरा : कस्तूरी को ढूंढने के चक्कर में वह गाफिल होकर जंगल के सभी घास को सूंघती रहती है.
जब तक आग रहवे पत्थर में, नहीं पत्थर को बेरा जी : पत्थर में ही अग्नि होती है, लेकिन पत्थर को इसके बारे में पता नहीं होता है.
चकमक चोटा लागे शब्द री फेंके आग चंपेरा जी : जब गुरुज्ञान रूपी चोट लगती है तभी प्रकाश पैदा होता है. ऐसे ही जीवात्मा को जब गुरु के ज्ञान की चोट लगती है तो वह प्रकाशित हो उठता है और अपने उद्देश्य को पहचानने लगता है।
बिना दीपक मंदिर सूनों : उदाहरण के लिए जैसे मंदिर दीपक के बिना सूना होता है, शोभामान नहीं होता है.
नहीं वस्तु का बेरा : वस्तु से आशय तत्वज्ञान से है. गुरु के अभाव में जीवन का उद्देश्य विस्मृत होता है और जीवन गाफिल होता है.बेरा-ज्ञान।
जब तक कन्या रहे कुँवारी : जब तक कन्या का विवाह नहीं हो जाता है.
नहीं पुरुष का बेरा जी : उसे अपने स्वामी का बोध नहीं हो पाता है. भाव है की जैसे विवाह के उपरान्त ही स्वामी/पति के विषय में बोध होता है, ऐसे ही गुरु की प्राप्ति के उपरान्त ही व्यक्ति को जीवन के बारे में पता चल पाता है.
आठों पहर आळस माहीं खेले, खेले खेल घणेरा : वह आठों पहर, पुरे समय में आलस में रहती है और अनेकों खेल खेलती है. खेल से आशय है की वह गाफिल होकर व्यर्थ के काम करती है. खेल-मायाजनित क्रियाएं।
मिरगे री नाभ बसे कस्तूरी : मृग की नाभि में ही कस्तूरी होती है लेकिन वह इससे अबोध होती है.
नहीं मिरगे को बेरा जी : लेकिन मृग/हिरन को इस विषय में पता नहीं होता है . बेरा-पता होना.
गाफिल होकर फिरे जंगल मे, सुंघे घास घनेरा : कस्तूरी को ढूंढने के चक्कर में वह गाफिल होकर जंगल के सभी घास को सूंघती रहती है.
जब तक आग रहवे पत्थर में, नहीं पत्थर को बेरा जी : पत्थर में ही अग्नि होती है, लेकिन पत्थर को इसके बारे में पता नहीं होता है.
चकमक चोटा लागे शब्द री फेंके आग चंपेरा जी : जब गुरुज्ञान रूपी चोट लगती है तभी प्रकाश पैदा होता है. ऐसे ही जीवात्मा को जब गुरु के ज्ञान की चोट लगती है तो वह प्रकाशित हो उठता है और अपने उद्देश्य को पहचानने लगता है।
Guru Bin Ghor Andhera | Rajasthani Live Bhajan | Prakash Mali Popular Bhajan
Ne Aap Bade Jagadish,
Bedi Bhavajal Bich Mein,
Guru Thaaro Vishavaas.
So So Chanda Ugave,
Suraj Tape Hajaar,
Itaro Chaanano Hovata,
Guru Bin Ghor Andhaar.
Guru Bina Ghor Andhera Re Santo,
Guru Bina Ghor Andhera Ji,
Bina Dipak Mandir Sunon,
Nahin Vastu Ka Bera,
Guru Bina Ghor Andhera Re Santo.
Jab Tak Kanya Rahe Kunvaari,
Nahin Purush Ka Bera Ji,
Aathon Pahar Aalas Maahin Khele,
Khele Khel Ghanera
Guru Bina Ghor Andhera Re Santo,
Guru Bina Ghor Andhera Ji,
Bina Dipak Mandir Sunon,
Nahin Vastu Ka Bera,
Guru Bina Ghor Andhera Re Santo.
Mirage Ri Naabh Base Kasturi,
Nahin Mirage Ko Bera Ji,
Gaaphil Hokar Phire Jangal Me,
Sunghe Ghaas Ghanera Ji,
Guru Bina Ghor Andhera Re Santo,
Guru Bina Ghor Andhera Ji,
Bina Dipak Mandir Sunon,
Nahin Vastu Ka Bera,
Guru Bina Ghor Andhera Re Santo.
Jab Tak Aag Rahave Patthar Mein,
Nahin Patthar Ko Bera Ji,
Chakamak Chota Laage Shabd Ri,
Phenke Aag Champera Ji,
Guru Bina Ghor Andhera Re Santo,
Guru Bina Ghor Andhera Ji,
Bina Dipak Mandir Sunon,
Nahin Vastu Ka Bera,
Guru Bina Ghor Andhera Re Santo.
Raamaanand Milya Guru Pura,
Diya Shabad Takashaala,
Kahat Kabir Sunon Bhi Santon,
Ab Mit Gaya Bharam Andhera,
Guru Bina Ghor Andhera Re Santo,
Guru Bina Ghor Andhera Ji,
Bina Dipak Mandir Sunon,
Nahin Vastu Ka Bera,
Guru Bina Ghor Andhera Re Santo.
Guru Bina Ghor Andhera Re Santo,
Guru Bina Ghor Andhera Ji,
Bina Dipak Mandir Sunon,
Nahin Vastu Ka Bera,
Guru Bina Ghor Andhera Re Santo.