कुल खोया कुल ऊबरै हिंदी मीनिंग Kul Khoya Kul Ubare Meaning Kabir Ke Dohe Hindi Meaning (Hindi Bhavarth)
कुल खोया कुल ऊबरै, कुल राख्यो कुल जाइ।राम निकुल कुल भेंटि लैं, सब कुल रह्या समाइ॥
Kul Khoya Kul Ubare, Kul Rakhyo Kul Jaai,
Raam Nikul Kul Bhenti Le, Sab Kul Raha Samaai.
कुल खोया : कुल के सम्मान, मान मर्यादा का त्याग कर देना.
कुल ऊबरै : साधक उबर सकता है, सफलता प्राप्त कर सकता है.
कुल राख्यो कुल जाइ : यदि कुल को रखते हैं तो जीवन (कुल जीवन) ही व्यर्थ हो जाता है.
राम निकुल : राम से निकुल (कुल रहित)
कुल भेंटि लैं : मिलो.
सब कुल रह्या समाइ : सब कुछ कुल में ही समाया हुआ है.
कुल ऊबरै : साधक उबर सकता है, सफलता प्राप्त कर सकता है.
कुल राख्यो कुल जाइ : यदि कुल को रखते हैं तो जीवन (कुल जीवन) ही व्यर्थ हो जाता है.
राम निकुल : राम से निकुल (कुल रहित)
कुल भेंटि लैं : मिलो.
सब कुल रह्या समाइ : सब कुछ कुल में ही समाया हुआ है.
कबीर साहेब की वाणी है की यदि साधक अपने कुल की मान मर्यादा से, कुल से सबंध रखता है तो वह कुछ भी प्राप्त नहीं कर पाता है. यदि साधक इश्वर की प्राप्ति चाहता है तो उसे "कुल" को अवश्य ही त्यागना पड़ेगा. साधक को चाहिए की वह समस्त कुल का त्याग करके इश्वर से भेंट करे तो अवश्य ही उसे सफलता मिलेगी क्योंकि समस्त कुल उसी परम सत्ता का हिस्सा हैं.
भाव है की पूर्ण परमात्मा की प्राप्ति के लिए कुल, परिवार आदि की प्रतिष्ठा को छोड़ना पड़ेगा. जब तक व्यक्ति अपने कुल और परिवार की प्रतिष्ठा पर विचार करेगा वह कुछ भी हासिल नहीं कर सकता है. रानी रूपादे और बाई मीरा ने अपने कुल का त्याग करके ही भक्ति की है.
ऐसे असंख्य उदाहरण है. प्रस्तुत साखी में विरोधाभास और रूपक अलंकार की सफल व्यंजना हुई है.
भाव है की पूर्ण परमात्मा की प्राप्ति के लिए कुल, परिवार आदि की प्रतिष्ठा को छोड़ना पड़ेगा. जब तक व्यक्ति अपने कुल और परिवार की प्रतिष्ठा पर विचार करेगा वह कुछ भी हासिल नहीं कर सकता है. रानी रूपादे और बाई मीरा ने अपने कुल का त्याग करके ही भक्ति की है.
ऐसे असंख्य उदाहरण है. प्रस्तुत साखी में विरोधाभास और रूपक अलंकार की सफल व्यंजना हुई है.