सुखिया सब संसार है खाए अरु सोवै हिंदी अर्थ Sukhiya Sab Sansar Hai Meaning

सुखिया सब संसार है खाए अरु सोवै हिंदी अर्थ Sukhiya Sab Sansar Hai Meaning Kabir Ke Dohe Hindi Arth, Bhavarth Sahit

सुखिया सब संसार है, खाए अरु सोवै।
दुखिया दास कबीर है, जागै अरु रोवै॥ 

Sukhiya Sab Sansar Hai, Khaye Aru Sove,
Dukhiya Das Kabir Hai, Jage Aru Rove.

सुखिया सब संसार है खाए अरु सोवै हिंदी अर्थ Sukhiya Sab Sansar Hai Meaning

कबीर के दोहे का हिंदी में अर्थ / भावार्थ Kabir Doha Hindi Meaning

कबीर साहेब साधक और भक्त की स्थिति के बारे में बताते हुए कहते हैं की सारा संसार ही मोहग्रस्त और भ्रम की स्थिति में है। वह अपने जीवन के उद्देश्य को विस्मृत कर चूका है और सांसारिक विषय के भोग में लिप्त है। कबीर साहेब कहते हैं की सम्पूर्ण संसार जगत के सुखों में लिप्त हो चूका है वह विषय को भोगता है, खाता है और सोता है। सोने से आशय अज्ञान की निंद्रा से है। ऐसे में एक कबीर साहेब दुखी हैं क्योंकि वे तो जान गए हैं की संसार मित्थ्या है ऐसे में वे जाग रहे हैं और विलाप करते हैं। कबीर साहेब के मन में तो ज्ञान और प्रेम की प्यास है वे अपने प्रिय से मिलाप चाहते हैं। 
 
कबीर साहेब का मन तो सांसारिकता से विमुख हो गया है। ऐसे में स्पष्ट है की जो लोग माया के भ्रम में पड़े हैं वे दुखी नहीं है क्योंकि वे तो सांसारिक भोग में लिप्त हैं और सो जाते हैं। लेकिन जो साधक इश्वर को प्राप्त करना चाहता है, जो इस जीवन के उद्देश्य को जान लेता है वह अत्यंत ही दुखी है। कबीर का अज्ञान दूर हो जाने के बाद, उन्हें यह समझ आ गया है कि संसार का मोह-माया मात्र एक सपना है। ईश्वर ही एकमात्र सत्य है। सांसारिकता से उनका मन विमुख हो गया है। वे ईश्वर के प्रेम में डूबे हुए हैं। कबीर को दोहरी पीड़ा इसलिए हो रही है क्योंकि वे देखते हैं कि संसार के लोग सुख में सो रहे हैं। वे ईश्वर के प्रेम को नहीं समझते। वे अपने जीवन को व्यर्थ में नष्ट कर रहे हैं। कबीर को इस बात का दुख है कि इन लोगों को यदि ईश्वर के प्रेम का ज्ञान हो जाए तो वे मुक्त हो सकते हैं।
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