कबीर अपने जीवतै ए दोइ बातैं धोइ मीनिंग
कबीर अपने जीवतै, ए दोइ बातैं धोइ।
लोभ बड़ाई कारणै, अछता मूल न खोइ॥
कबीर अपने जीवतै : अपने जीवन से.
ए दोइ : यह दो (यह दो बातें)
बातैं धोइ : बातों को निकाल दो, निवारण कर दो/धोकर निकाल दो.
लोभ : लालच.
बड़ाई : जग में दिखावे के लिए बड़ा नाम.
कारणै : के कारण से.
अछता मूल : अछूता मूल धन (जीवन)
न खोइ : समाप्त मत करना, खो मत देना.
कबीर साहेब ने जीवात्मा को सचेत करते हुए कहते हैं की तुम माया से सावधान हो जाओ और अपने जीवन में यह दो बातें धोकर निकाल दो. लोभ और बड़ाई (स्वंय की प्रशंशा) के कारण ही तुम कहीं अपने मूल को भी मत खो देना. मूल क्या है ? अनेकों जन्मों के शुभ कर्मों के उपरान्त यह मानव जीवन मिला है. जिसे तुम व्यर्थ में ही मत खो देना. हरी के नाम का सुमिरण करना ही इस जीवन का आधार है. जीवात्मा भरम का शिकार होकर मोह माया में अपना जीवन व्यतीत कर देता है और अंत समय में सिवाय पछताने के उसके पास कुछ भी नहीं बचता है. अतः भक्ति मार्ग पर आगे बढ़ने के लिए लोभ और लालच का त्याग करना ही होगा.
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Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें।
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