काँची कारी जिनि करै हिंदी मीनिंग
काँची कारी जिनि करै, दिन दिन बधै बियाधि।
राम कबीरै रुचि भई, याही ओषदि साधि॥
Kachi Kaari Jini Kare, Din Din Badhe Biyadhi,
Raam kabire Ruchi Bhai, Yahi Oshadhi Sadhi.
काँची : कच्ची.
कारी : उपचार. पैबंद लगाना, कारी लगाना (अस्थाई समाधान)
जिनि करै : जो करे.
दिन दिन : धीरे धीरे.
बधै : बढ़ जाती है.
बियाधि : रोग, विकार.
राम कबीरै रुचि भई : राम (इश्वर) के प्रति रूचि का प्रादुर्भाव/प्राकट्य होना.
याही ओषदि : यही ओषधि, यही उपचार.
साधि : साध्य है, उपचार योग्य है.
कबीर साहेब समस्त सांसारिक क्रियाओं को कच्चा उपचार कहते हैं. वे कहते हैं की तुम कच्चा उपचार मत करो, कच्चे उपचार से व्याधि दिन प्रतिदिन बढती ही जाती है. राम में जब रूचि उत्पन्न होती है तो यही वास्तविक और स्थाई ओषधि होती है. यही ओषधि समस्त संतापों की साध्य ओषधि है. राम नाम रसायन रूपी ओषधि ही सोधी है. भाव है की जीवात्मा इस संसार में अनेकों प्रकार की जुगत करके भव सागर से उतरना चाहती है. यथा, शास्त्रीय ज्ञान, लोकाचार, रीतिरिवाज आदि में वह व्यर्थ ही भटकता है जिसे कबीर साहेब ने कच्चा उपचार बताया है. शुद्ध हृदय से मानवीय गुणों को अपने जीवन में उतारकर सत्य के मार्ग पर चलते हुए आत्मा से हरी के नाम का सुमिरण ही मुक्ति का आधार है, जिसमे किसी भी प्रकार की कोई बाह्य प्रतीकात्मक भक्ति कोई मायने नहीं रखती है.
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Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें।
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