कबीर जे धंधै तौ धूलि हिंदी मीनिंग कबीर के दोहे

कबीर जे धंधै तौ धूलि हिंदी मीनिंग

कबीर जे धंधै तौ धूलि, बिन धंधे धूलै नहीं।
ते नर बिनठे मूलि, जिनि धंधे मैं ध्याया नहीं॥
Kabir Je Dhandhe Tou Dhuli Nahi, Bin Dhandhe Dhule Nahi
Te Nar Binathe Muli, Jini Dhandhe Me Dhyaaya Nahi.

कबीर जे धंधै तौ धूलि : ऐसे कर्म/धंधा जिसमे धुल नहीं लगती है.
बिन धंधे धूलै नहीं : धंधे के बिना धुल नहीं लगती है.
ते नर बिनठे मूलि, : ऐसे व्यक्ति समूल नष्ट हो जाते हैं.
जिनि धंधे मैं ध्याया नहीं : जिन्होंने कर्म में इश्वर का सुमिरण नहीं किया है.

कबीर साहेब की वाणी है की व्यक्ति जो धंधा करता है उसके फल रूप में धुल (कर्म परिणाम) अवश्य ही प्राप्त होते हैं. जिसने भी सांसारिक कार्यों में इश्वर का सुमिरण नहीं करता है उसे अवश्य ही कर्मों का परिणाम प्राप्त करना पड़ता है. ऐसे व्यक्ति समूल ही नष्ट हो जाते हैं. जो व्यक्ति कर्म में लिप्त नहीं होते हैं, कर्म में इश्वर का ध्यान नहीं लगाते वे अवश्य ही पतन को प्राप्त होते हैं.
 
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