कबीर यहु तन जात है सकै तो ठाहर लाइ मीनिंग Kabir Yahu Tan Jaat Hai Hindi Meaning

कबीर यहु तन जात है सकै तो ठाहर लाइ मीनिंग Kabir Yahu Tan Jaat Hai Meaning कबीर के दोहे हिंदी अर्थ सहित (Hindi Bhavarth)

कबीर यहु तन जात है, सकै तो ठाहर लाइ।
कै सेवा करि साध की, कै गुण गोविंद के गाइ॥
Kabir Yahu Tan Jaat Hai, Sake To Thaahar Laai,
Ke Seva Kari Saadh Ki, Ke Gun Govind Ke Gaai

कबीर यहु तन जात है : मनुष्य जनम बीता जा रहा है.
तन : मानव जीवन/मानव देह, तन.
जात : जा रहा है, व्यतीत हो रहा है.
सकै तो ठाहर लाइ : यदि तुम कर सकते हो तो इसे ठहरा लो, इसका सदुपयोग करो.
सकै : यदि कर सकते हो तो.
ठाहर : ठहरा लेना, सदुपयोग करना.
कै सेवा करि साध की : या तो तुम साधू/संतों की सेवा करो.
कै गुण गोविंद के गाइ : या तो फिर हरी के गुण गाओ, हरी सुमिरण करो.
कै : या तो.

कबीर साहेब मनुष्य को आगाह करते हुए वाणी देते हैं की तुम किस भरम में पड़े हो ? यह मानव जीवन तो व्यर्थ ही नष्ट हुए जा रहा है. यह लगातार बीत रहा है. यदि तुम चाहो तो इसे ठहरा लो, रोक लो. या तो तुम साधू की सेवा करो या फिर तुम हरी के गुण गाओ, हरी सुमिरण करो. भाव है की यह जीवन सदा के लिए नहीं है, हम चाहे जैसे कार्य करें अच्छे या बुरे, यह बीतना तो अवश्य ही है. यह पल पल बीते जा रहा है. इसलिए समझदारी इसमें है की हम इसकी उपयोगिता को समझें. इसकी उपयोगिता को रोकने का तरीका एक ही है, हरी के नाम का सुमिरण. सद्कार्य करना, यथा साधू संत की सेवा करना. इसे ठहरा लेने से भाव है की हरी भक्त जन्म मरण के चक्र से मुक्त हो जाता है, उसे पुनः यातना नहीं भोगनी पड़ती है. हरी भक्ति / भगवत प्रेम ही जीवन को ठहरा सकता है.
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