कबीर यह तन जात है सकै तो लेहु बहोड़ि मीनिंग
कबीर यह तन जात है, सकै तो लेहु बहोड़ि।
नागे हाथूँ ते गए, जिनके लाख करोड़ि॥
Kabir Yahu Tan Jaat Hai, Sake To Lehu Bahodi,
Naage Hathu Te Gaye, Jinke Laakh Karodi.
कबीर यह तन जात है : यह तन (मानव जीवन) बीता जा रहा है.
तन : मानव देह/जीवन.
जात है : जा रहा है.
सकै तो लेहु बहोड़ि : यदि सक्षम हो तो इसे मोड़ लो. बावडना-मोड़ना, लौटा लाना.
नागे हाथूँ ते गए : नंगे हाथ गए (कुछ भी साथ लेकर नहीं गए)
हाथूँ : हाथ.
नागे : खाली हाथ, नंगे हाथ.
जिनके लाख करोड़ि : जिनके पास लाख करोड़ थे.
माया के विषय में कबीर साहेब साधक को सचेत करते हुए कहते हैं की यह मानव जीवन बीता जा रहा है, यदि तुम सक्षम हो तो इसे रोक लो, पुनः मोड़ लो. माया तो किसी के साथ नहीं जानी है. जिनके पास लाख करोड़ थे, अपार धन थे वे भी खाली हाथ (नंगे हाथ) ही इस जगत से रुखसत हुए हैं, यही श्रष्टि का / विधाता का नियम है. तो भला कोई कैसे इस जिवन को मोड़ सकता है ? इस जीवन को मोड़ने का एकमात्र तरीका है की हरी के नाम का सुमरिन करो, सद्कार्य में अपना जीवन लगाओ जिससे जन्म मरण के चक्र से मुक्ति मिलेगी. पुनः यातना भोगने के लिए जीव को जीवन प्राप्त नहीं करना पड़ेगा. हरी भक्ति ही भव से पार होने का मार्ग है.
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Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें।
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