मांइ बिडाणी बाप बिड़ हिंदी मीनिंग
मांइ बिडाणी बाप बिड़ हिंदी मीनिंग
मांइ बिडाणी बाप बिड़, हम भी मंझि बिड़ाह।दरिया केरी नाव ज्यूँ, संजोगे मिलियाँह॥
Maai Bidaai Baap Bid, Hum Bhi Manjhi Bihaada,
Dariya Keri Naav Jyu, Sanjoge Miliyah.
Maai Bidaai Baap Bid, Hum Bhi Manjhi Bihaada,
Dariya Keri Naav Jyu, Sanjoge Miliyah.
मांइ : माता/माँ.
बिडाणी : पराई.
बिड़ाणों बाप : बाप भी पराया है.
बिड़ : पराया है.
हम भी मंझि : इनके मध्य हम भी पराये हैं.
बिड़ाह : पराया, गैर.
दरिया केरी : दरिया में चलने वाली, दरिया वाली.
नाव ज्यूँ : नाँव के समान.
संजोगे : संयोग से.
मिलियाँह : मिलती है.
बिडाणी : पराई.
बिड़ाणों बाप : बाप भी पराया है.
बिड़ : पराया है.
हम भी मंझि : इनके मध्य हम भी पराये हैं.
बिड़ाह : पराया, गैर.
दरिया केरी : दरिया में चलने वाली, दरिया वाली.
नाव ज्यूँ : नाँव के समान.
संजोगे : संयोग से.
मिलियाँह : मिलती है.
जन्म देने वाली माता (माँ) भी पराई है, पिता भी पराया है और इन सबके मध्य में हम सब भी पराए ही हैं. जैसे दरिया के मध्य में नांव आपस में मिलती हैं ऐसे ही हम सभी एक दुसरे से किसी संजोग के कारण मिल गए हैं, बाकी कोई किसी का सबंधी नहीं है. संसार के समस्त रिश्ते नाते महज एक दिखावा है. किसी का किसी से सच्चा प्रेम नहीं है. भाव है की जगत और इसका व्यवहार स्वार्थ जनित और मिथ्या हैं जिसमे कोई सच्चाई नहीं होती है. भाव है की एक इश्वर का नाम सच्चा है, बाकी कोई किसी का नहीं होता है. इस जगत में माया के प्रभाव में आकर जीव मेरा कहना सीखता है, मेरा पिता, मेरी माँ, मेरा घर, मेरा खेत. जबकि कोई मेरा नहीं है. यह परम सत्य जितनी जल्दी वह सीख ले उतना ही उसके लिए श्रेयकर होता है. प्रस्तुत साखी में उपमा अलंकार की व्यंजना हुई है.
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Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें। |