मन दीया मन पाइए मीनिंग Man Diya Man Paayiye Meaning Kabir Dohe, Kabir Ke Dohe Hindi Arth Sahit (Hindi Bhavarth/Meaning)
मन दीया मन पाइए, मन बिन मन नहीं होइ।मन उनमन उस अंड ज्यूँ, अनल अकासाँ जोइ॥
Man Diya Man Paiye, Man Bin Man Nahi Hoi,
Man Unman Us And Jyu, Aanal Akaasa Joi.
मन : मन, चित्त, हृदय.
दीया मन पाइए : मन को समर्पित करने से ही मन की प्राप्ति होती है, प्रभु की प्राप्ति होती है.
मन बिन मन नहीं होइ : मन को पवित्र किए बिना और समर्पण किए बिना इश्वर (मन) की प्राप्ति नहीं हो सकती है.
मन उनमन : उनमना मन की अवस्था.
उस अंड ज्यूँ : अनल पक्षी के अंडे की भाँती.
अनल : अनल पक्षी.
अकासाँ जोइ : आकाश में. उर्ध्व चेतना की और अग्रसर.
दीया मन पाइए : मन को समर्पित करने से ही मन की प्राप्ति होती है, प्रभु की प्राप्ति होती है.
मन बिन मन नहीं होइ : मन को पवित्र किए बिना और समर्पण किए बिना इश्वर (मन) की प्राप्ति नहीं हो सकती है.
मन उनमन : उनमना मन की अवस्था.
उस अंड ज्यूँ : अनल पक्षी के अंडे की भाँती.
अनल : अनल पक्षी.
अकासाँ जोइ : आकाश में. उर्ध्व चेतना की और अग्रसर.
कबीर साहेब की वाणी है की इश्वर को मन देने से ही इश्वर की प्राप्ति हो सकती है. जैसे अनल पक्षी आकाश में अंडा देता है वैसे ही इश्वर भक्ति में लीन उनमना मन इश्वर भक्ति में उर्ध्व चेतना में मगन रहता है. उर्द्व चेतना से आशय है की समस्त सांसारिक वासनाओं से जीव मुक्त रहता है. प्रस्तुत साखी में उपमा और यमक अलंकार की व्यंजना हुई है. भाव है की मन को पूर्ण रूप से पवित्र और इश्वर भक्ति में समर्पित किए बिना इश्वर की प्राप्ति संभव नहीं हो पाती है.
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