हिरदा भीतरि आरसी हिंदी मीनिंग Hirada Bhitari Aarasi Meaning Kabir Dohe, Kabir Ke Dohe Hindi Meaning (Hindi Arth Sahit/Bhavarth)
हिरदा भीतरि आरसी, मुख देषणाँ न जाइ।मुख तौ तौपरि देखिए, जे मन की दुविधा जाइ॥
Hirada Bhitari Aarasi, Mukh Dekhna Na Jaai,
Mukh To Topari Dekhiye, Je Man ki Duvidha Jaai.
हिरदा भीतरि आरसी : हृदय के भीतर ही दर्पण है.
मुख देषणाँ न जाइ : लेकिन मुख दिखाई नहीं देता है (इश्वर से परिचय नहीं हो पाता है)
मुख तौ तौपरि देखिए : मुख तो तभी दिखाई देगा.
तौपरि : तभी.
जे : जो / यदि
मन की दुविधा जाइ : मन की दुविधा का समाप्त होना, इश्वर के प्रति पूर्ण समर्पण होना.
मुख देषणाँ न जाइ : लेकिन मुख दिखाई नहीं देता है (इश्वर से परिचय नहीं हो पाता है)
मुख तौ तौपरि देखिए : मुख तो तभी दिखाई देगा.
तौपरि : तभी.
जे : जो / यदि
मन की दुविधा जाइ : मन की दुविधा का समाप्त होना, इश्वर के प्रति पूर्ण समर्पण होना.
प्रस्तुत साखी में कबीर साहेब की वाणी है की हृदय के भीतर इश्वर का वास है. हृदय के भीतर होने के बाद भी हम इश्वर से साक्षात्कार नहीं कर पाते हैं क्योंकि हमारे ही मन में दुविधा/संशय का भाव रहता है. यह हृदय की मलिनता है की वह पूर्ण परमात्मा को पहचान नहीं पाता है. पूर्ण परमात्मा का मुख और उससे पहचान तो तभी हो सकती है जब मन पूर्ण रूप से इश्वर के प्रति समर्पित हो जाए. यदि किसी भी प्रकार की कोई दुविधा किसी व्यक्ति के अन्दर है तो वह इश्वर की प्राप्ति नहीं कर सकता है. मन कहीं पर स्थिर नहीं रहता है, वह एक विचार से दुसरे विचार पर भागता है. इस चंचलता को साधक गुरु के बताये मार्ग से दूर कर सकता है. भक्ति के लिए अवश्य ही आत्मिक अनुशाशन की आवश्यकता होती है.