मन मंदिर में बसा रखी है गुरु तस्वीर सलौनी भजन

मन मंदिर में बसा रखी है गुरु तस्वीर सलौनी भजन

मन मंदिर में बसा रखी है,
गुरु तस्वीर सलौनी,
रोम रोम में बसे है गुरुवर,
विधा सागर मुनिवर।

गुरुवर विद्या सागरजी है,
करुणा की गागरजी,
चर्या आपकी आगम रूप,
दिखते हो अरिहंत स्वरूप,
दर्शन जो भी पाता है,
गुरुवर का हो जाता है।
जय, जय जय गुरुदेव।

दिव्य आप का दर्शन है,
भव्य आपका चिंतन है,
प्रवचन देते आध्यात्मिक,
और कभी सम सामायिक,
हाथ मे पिछी कमंडल है,
और पीछे भक्त मंडल है,
सबने मन में बसा रखी है,
गुरु तस्वीर सलौनी,
रोम रोम में बसे है गुरुवर,
गुरवर विशुद्ध सागर जी,
जय, जय जय गुरुदेव।

मीठी आपकी वाणी है,
मुख से बहे जिनवाणी है,
सरल गुरु कहलाते हो,
ख़ूब आशीष लुटाते हो,
तुम गुरुदेव हमारे हो,
हम भक्तों को प्यारे हो,
मन मंदिर में बसा रखी है,
गुरु तस्वीर सलौनी,

रोम रोम में बसे है गुरुवर,
विधा सागर मुनिवर।
सबने मन में बसा रखी है,
गुरु तस्वीर सलौनी,
रोम रोम में बसे है गुरुवर,
गुरवर विशुद्ध सागर जी,

सबने मन में बसा रखी है,
गुरु तस्वीर सलौनी,
रोम रोम में बसे है गुरुवर,
गुरवर विशुद्ध सागर जी,

Jain Guru Bhajan Man Mandir Me Basa Rakhi He आचार्य श्री विशुद्धसागरजी

Man Mandir Mein Basa Rakhi Hai,
Guru Tasvir Salauni,
Rom Rom Mein Base Hai Guruvar,
Vidha Saagar Munivar.

Guruvar Vidya Saagaraji Hai,
Karuna Ki Gaagaraji,
Charya Aapaki Aagam Rup,
Dikhate Ho Arihant Svarup,
Darshan Jo Bhi Paata Hai,
Guruvar Ka Ho Jaata Hai.
Jay, Jay Jay Gurudev. 
Next Post Previous Post