जग हठवाड़ा स्वाद ठग हिंदी मीनिंग कबीर के दोहे

जग हठवाड़ा स्वाद ठग हिंदी मीनिंग Jag Hathwada Swad Thag Meaning Kabir Dohe, Kabir Ke Dohe Hindi Meaning (Hindi Arth/Hindi Bhavarth)

जग हठवाड़ा स्वाद ठग, माया बेसाँ लाइ।
रामचरण नीकाँ गही, जिनि जाइ जनम ठगाइ॥
Jag Hathvada Swad Thag, Maya Besa Laai,
Ramcharan Neeka Gahi, Jini Jaai Janam Thagaai.

जग : संसार, जगत.
हठवाड़ा : बाजार, जहाँ पर हाट लगती है.
स्वाद ठग: इन्द्रियगत स्वाद ठग रूप में है.
माया : सांसारिक विषय विकार.
बेसाँ : वेश्या.
लाइ : बन बैठी है.
रामचरण : इश्वर (राम के चरण)

कबीर साहेब की वाणी है की यह जगत तो एक तरह का हठवाडा है, बाजार है इसमें माया वेश्या स्वाद रूपी ठग बनकर बैठी है. जिन्होंने श्री राम के चरणों में अपना स्थान बनाया है वह इस जगत में कहीं पर ठगा नहीं जाता है. प्रस्तुत साखी में सांगरूपक अलंकार की व्यंजना हुई है. साखी का मूल भाव है की प्रभु भक्ति में ही कल्याण है. 
 
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें

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