करता था तो क्यूँ रह्या अब करि क्यूँ मीनिंग

करता था तो क्यूँ रह्या अब करि क्यूँ पछताइ मीनिंग

करता था तो क्यूँ रह्या, अब करि क्यूँ पछताइ।
बोवै पेड़ बबूल का,अम्ब कहाँ तैं खाइ॥

Karata Tha To Kyu Rahya, Aub Kari Kyu Pachhtaai,
Bove Ped Babool Ka, Aumb Kaha Te Khaai.

करता था तो क्यूँ रह्या अब करि क्यूँ पछताइ Karata Tha To Kyu Rahya Kabir Dohe

करता था : जब तुमने कर्म किये (बुरे कर्म किये)
तो क्यूँ रह्या : तब क्यों नहीं रहे, उसे करते ही क्यों रहे (छोड़ा क्यों नहीं)
अब करि क्यूँ पछताइ : अब क्यों पछता रहे हो.
बोवै पेड़ बबूल का : तुमने बबूल का पेड़ बोया है.
अम्ब कहाँ तैं खाइ : अब तुम आम कहाँ से खाओगे.
अम्ब : आम
खाइ- खाओगे.
खाई-खाओगे.

कबीर साहेब की वाणी है की जीवात्मा जब बुरे काम करती है तो विचार नहीं करती है. वह बाद में पछतावा करती है लेकिन पछतावा करने से कोई लाभ नहीं होने वाला है. तुमने यदि बबूल के पेड़ को बोया है तो अब तुम आम का फल कहाँ से खाओगे. जो
व्यक्ति जैसे कर्म करता है वैसा ही फल उसे प्राप्त होता है. जीवन भर व्यक्ति स्वंय की लालसाओं और स्वार्थों की पिछे भागता फिरता है. कबीर साहेब ने कर्म प्रधानता पर बल दिया है, जैसे हमारे कर्म होंगे वैसे ही फल हमें प्राप्त होंगे. इसलिए साधक को चाहिए की वह सद्मार्ग पर चलते हुए नेक कार्य करे और हरी के नाम का सुमिरण करे. बगैर हरी नाम के सुमिरण के इश्वर की प्राप्ति संभव नहीं है. 
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें

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