जग में बैरी कोई नहीं जो मन शीतल होय हिंदी मीनिंग Jag Me Bairi Koi Nahi Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth/Bhavarth Sahit
जग में बैरी कोई नहीं, जो मन शीतल होय।यह आपा तो डाल दे, दया करे सब कोय।।
Jag Me Bairi Koi Nahi, Jo Man Sheetal Hoy,
Yah Aapa To Daal De, Daya Kare Sab Koy.
कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi
कबीर साहेब की वाणी है की इस जगत में कोई शत्रु नहीं है यदि मन से अहम्/अहंकार को छोड़ दिया जाय। मन के शीतल होने पर सभी व्यक्ति मित्र होते हैं। आशय है की मन से बैर भाव को छोड़ दो और अपने अहम् को त्याग करके तुम हरी के नाम का सुमिरण करो। इस दोहे में संत कबीर जी कहते हैं कि इस संसार में कोई भी हमारा दुश्मन नहीं है, अगर हमारा मन शुद्ध हो। मन का शुद्ध होना ही शीतल मन है। जब हमारा मन शुद्ध होता है, तो हम किसी के प्रति भी घृणा या द्वेष नहीं रखते। हम सभी के साथ प्रेम और दया से पेश आते हैं। इस दोहे के पहले चरण में संत कबीर जी कहते हैं कि इस संसार में कोई भी हमारा दुश्मन नहीं है। वे कहते हैं कि सभी लोग अच्छे हैं, लेकिन उनके अंदर बुराई के बीज भी होते हैं। अगर हम अपने मन को शुद्ध रखें, तो हम दूसरों की बुराइयों को देख पाएंगे।
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