मेरी चुनरी में परिगयो दाग पिया कबीर Meri Chunari Me Pargyo Dag Piya Kabir
मेरी चुनरी में परिगयो दाग पिया।
पांच तत की बनी चुनरिया
सोरह सौ बैद लाग किया।
यह चुनरी मेरे मैके ते आयी
ससुरे में मनवा खोय दिया।
मल मल धोये दाग न छूटे
ग्यान का साबुन लाये पिया।
कहत कबीर दाग तब छुटि है
जब साहब अपनाय लिया।
सोरह सौ बैद लाग किया।
यह चुनरी मेरे मैके ते आयी
ससुरे में मनवा खोय दिया।
मल मल धोये दाग न छूटे
ग्यान का साबुन लाये पिया।
कहत कबीर दाग तब छुटि है
जब साहब अपनाय लिया।
कबीर साहेब इस पद में सन्देश देते हैं की मेरी इस चुनरिया (मानव जीवन/आत्मा) में दाग पड गया है। पांच तत्वों से यह चुनरिया बनी है। संसार में रहते हुए इसे विषय विकारों से दूर रखना चाहिए। ज्ञान रूपी साबुन से ही इसके दाग छूटेंगे।
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