मेरी चुनरी में परिगयो दाग पिया कबीर Meri Chunari Me Pargyo Dag Piya Kabir
मेरी चुनरी में परिगयो दाग पिया।
पांच तत की बनी चुनरिया
सोरह सौ बैद लाग किया।
यह चुनरी मेरे मैके ते आयी
ससुरे में मनवा खोय दिया।
मल मल धोये दाग न छूटे
ग्यान का साबुन लाये पिया।
कहत कबीर दाग तब छुटि है
जब साहब अपनाय लिया।
कबीर साहेब इस पद में सन्देश देते हैं की मेरी इस चुनरिया (मानव जीवन/आत्मा) में दाग पड गया है। पांच तत्वों से यह चुनरिया बनी है। संसार में रहते हुए इसे विषय विकारों से दूर रखना चाहिए। ज्ञान रूपी साबुन से ही इसके दाग छूटेंगे। आपको ये पोस्ट पसंद आ सकती हैं
|
Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें।
|