कौंण देस कहाँ आइया हिंदी मीनिंग कबीर के दोहे

कौंण देस कहाँ आइया हिंदी मीनिंग

कौंण देस कहाँ आइया, कहु क्यूँ जाँण्याँ जाइ।
उहू मार्ग पावै नहीं, भूलि पड़े इस माँहि॥
Koun Des Kaha Aaiya, Kahu Kyu Janya Jaai,
Uhu Marg Paave Nahi, Bhuli Pade Is Mahi.

कौंण देस : कौनसा देश है, कौनसा स्थान है.
कहाँ आइया : कहा से आइया.
कहु क्यूँ : बताओ कैसे.
जाँण्याँ जाइ : जाना जाए, पता किया जाए.
उहू मार्ग : उस मार्ग.
पावै नहीं : मिलता नहीं है.
भूलि पड़े इस माँहि : इसमें भूल पड़ गई है.

कबीर साहेब की वाणी है की साधक/जीवात्मा कौनसे देश की रहने वाली है और कहाँ पर आ गई है. अब इस विषय में क्या कहा जाए. जीव तो ब्रह्म लोक का निवासी था और वह कैसे इस मृत्यु लोक में आ गया है, इस विषय में अब क्या कहा जा सकता है. विषय और सांसारिक मोह माया में पड़ने के कारण जीवात्मा को कोई राह नहीं सूझ रही है. अतः बगैर भक्ति के, इस भटकाव को समाप्त नहीं किया जा सकता है. यदि इस संसार के भ्रम रूपी जाल से बाहर निकलना है तो अवशय ही इस भ्रम को समाप्त करना होगा. अतः मृत्युलोक के इस भ्रम को भक्ति से समाप्त करो, भक्ति से ही पुनः लौटाने का मार्ग मिलेगा.
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें

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