प्राण पंड को तजि चलै मीनिंग कबीर के दोहे

प्राण पंड को तजि चलै मीनिंग Pran Pand Ko Taji Chale Hindi Meaning Kabir Dohe, Kabir Ke Dohe Hindi Meaning (Hindi Arth/Hindi Bhavarth)

प्राण पंड को तजि चलै, मूवा कहै सब कोइ।
जीव छताँ जांमैं मरै, सूषिम लखै न कोइ॥
Praan Pand Ko Taji Chale, Muva Kahe Sab Koi,
Jeev Chhataa Jaame Mare, Lakhe Na Koi.

पंड : शरीर, देह.
को तजि चलै : को त्याग करके.
मूवा कहै सब कोइ : सभी मरा हुआ कहते हैं.
जीव छताँ जांमैं मरै : जीव दैहिक रूप से जीवित रहते हुए भी कई बार जन्म लेता है और मरता है.
छताँ : होते हुए (जीवित होते हुए भी)
सूषिम : सूक्ष्म.
सूषिम लखै न कोइ : सूक्ष्म को कोई भी पहचान नहीं पाता है.
लखै : चिन्हित करना, खोजना, पहचानना.
न कोइ : कोई नहीं.

साहेब की वाणी है की जब यह प्राण इस देह/शरीर को छोडकर चला जाता है तो सभी सांसारिक जगत के व्यक्ति उन्हें मरा हुआ कहता है. लेकिन व्यक्ति जीवन के रहते हुए भी कई प्रकार मरता है और पुनः जन्म लेता है. विषय विकारों में पड़ा हुआ व्यक्ति रोज ही जन्म लेता है और मरता है. सभी शरीर को देखते हैं लेकिन सूक्ष्म को कोई देख नहीं पाता है. प्राण तत्व क्या है, शरीर क्या है इसे कोई सूक्ष्म व्यक्ति ही देख सकता है. सुख दुःख को समान ही समझना चाहिए. प्राण की क्रिया को को देख पाना सभी के लिए संभव नहीं है, कोई ब्रह्म ज्ञानी ही इसको देख पाता है. प्रस्तुत साखी में विरोधाभाष अलंकार की सफल व्यंजना हुई है.
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें

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