मेट हिंदी मीनिंग अर्थ मतलब Met Hindi Meaning Rajasthani Dictionary
हिंदी के शब्द "मिटाना" को ही राजस्थान के शेखावाटी क्षेत्र में "मेट" कहा जाता है। मेट के अन्य अर्थ हैं ढहाना, , उखेड़ना, मलियामेट करना, तोड़ना, मिटाना, मिटाना, खुरचना, रगड़कर मिटाना, हटाना, मिटाना, काटना, क़लम खींचना, क़लम फेरना, काट देना, पोंछना, झाड़ना, मिटाना, मिटा देना, नष्ट करना आदि।
राजस्थानी के शब्द "मेट" को अंग्रेजी में erase, delete, sweep away. clear away कहते हैं।
मेट (Met) समाप्त करना : destroy : put an end to the existence of (something) by damaging or attacking it.
मेट (Met) : रगड़ कर साफ़ करना (erase ) rub out or remove (writing or marks).
मेट (Met) : समाप्त करना (End) : a final part of something, especially a period of time, an activity, or a story.
राजस्थानी के शब्द "मेट" को अंग्रेजी में erase, delete, sweep away. clear away कहते हैं।
मेट (Met) समाप्त करना : destroy : put an end to the existence of (something) by damaging or attacking it.
मेट (Met) : रगड़ कर साफ़ करना (erase ) rub out or remove (writing or marks).
मेट (Met) : समाप्त करना (End) : a final part of something, especially a period of time, an activity, or a story.
आइये "मेट" शब्द को उदाहरण से समझते हैं।
बोबो थारा कष्ट मेट सी।
भगवान तुम्हारे दुखों का अंत करेगा।
God will end your sorrows
हाथ री रेखा कोणी मिटे मेरा भाई।
हाथों की लकीरे मिटती नहीं है।
The lines on the hands do not fade.
जद सूं बाबा खाटू श्याम जी को आसरो लियो है, सारा दुःख मिटगा।
जब से मैंने खाटू श्याम जी बाबा का सहारा लिया है, मेरे सारे दुःख समाप्त हो गए हैं।
Ever since I have taken the support of Khatu Shyam Ji Baba, all my sorrows have ended.
हे ईश्वर, मेरा कष्ट मेटो।
हे ईश्वर मेरे कष्ट समाप्त करो।
oh god end my troubles
अतः मेट का हिंदी अर्थ मिटना, समाप्त होना होता है। इसे मेटो, मेट, मिटसी, मिटगी आदि रूपों में बोला जाता है।
बोबो थारा कष्ट मेट सी।
भगवान तुम्हारे दुखों का अंत करेगा।
God will end your sorrows
हाथ री रेखा कोणी मिटे मेरा भाई।
हाथों की लकीरे मिटती नहीं है।
The lines on the hands do not fade.
जद सूं बाबा खाटू श्याम जी को आसरो लियो है, सारा दुःख मिटगा।
जब से मैंने खाटू श्याम जी बाबा का सहारा लिया है, मेरे सारे दुःख समाप्त हो गए हैं।
Ever since I have taken the support of Khatu Shyam Ji Baba, all my sorrows have ended.
हे ईश्वर, मेरा कष्ट मेटो।
हे ईश्वर मेरे कष्ट समाप्त करो।
oh god end my troubles
अतः मेट का हिंदी अर्थ मिटना, समाप्त होना होता है। इसे मेटो, मेट, मिटसी, मिटगी आदि रूपों में बोला जाता है।
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मेट राजस्थानी भाषा का शब्द है जिसके निम्न उदाहरण हैं, आइये इस शब्द को उदाहरण के माध्यम से समझते हैं।
मेट (मिटाना) : नष्ट करना (जैसे—उसने कुल मर्यादा को मिटा दिया), लुप्त करना, साफ़ करना (जैसे—लिखावट मिटाना)।
मेट का अर्थ हिंदी में मिटाना, ढहाना, उखेड़ना, मलियामेट करना, तोड़ना, मिटाना, खुरचना, रगड़कर मिटाना, हटाना होता है जिसके हिंदी में पर्यायवाची (अंग्रेज़ी Synonyms) निम्न होते हैं -
अतः हिंदी के शब्द मिटाना का ही समानार्थी शब्द "मेट" है। यह एक क्रिया और संज्ञा के रूप में उपयोग में लाया जाता है।
कर्म रेख नहि मिटे मिटाई। कबीर सा॰, पृ॰ ९६० ।
नष्ट करना, न रहने देना, दूर करना,
उ॰ ताकर तोहि भेद समझाऊँ, मनोकामना सकल मिटाऊँ ।
खराब करना, चौपट करना, बरबाद करना ।
रद्द करना,
कर्म रेख नहि मिटे मिटाई। कबीर सा॰, पृ॰ ९६० ।
नष्ट करना, न रहने देना, दूर करना,
उ॰ ताकर तोहि भेद समझाऊँ, मनोकामना सकल मिटाऊँ ।
खराब करना, चौपट करना, बरबाद करना ।
रद्द करना,
तुम्हें मेटो तुम मेरा अपराध ;
भाल पर मेरे रख दो शुभ्र पिता के आशीर्वाद
और , पवन !
तुम्हें मम नमस्कार है ,
रह न जाय कोई अवसाद ;
कर दो पूरे तन में मेरे व्याप्त
पिता के आशीर्वाद ।
मनमोहिनी ठगिया भौंरा
सतपुरुष के ना मन भाये
पुरुष लोक से हम चलि आये
अगर दीप सुनत बड़भागी
सहज दास मेटो मन पागी
उद्धव ! बेगि ही ब्रज जाहु।
सुरति सँदेस सुनाय मेटो बल्लभिन को दाहु।।
काम पावक तूलमय तन बिरह-स्वास समीर।
भसम नाहिं न होन पावत लोचनन के नीर।।
अजौ लौ यहि भाँति ह्वै है कछुक सजग सरीर।
इते पर बिनु समाधाने क्यों धरैं तिय धीर।।
कहौं कहा बनाय तुमसों सखा साधु प्रबीन?
मेटो बिहु बिथा बहु बरसन ।
हरि जी पल विच पूरन करसन ।
चित दो चाह नू ॥३ ॥
हरि जी सफल मनोरथ कोते ।
गुवारनि सुख पाए मन चीते ।
त्रिविध ताप दुख मेटो,करलो मोहे अपना।
अवगुन चित्त न लाओ,दूर करो तपना,
प्रभु दूर करो तपना।
तज तीनों जल्दी प्रभु,पद:चौथा पाऊँ।
काल जाल से भागू,राधास्वामी गुन गाऊँ,
प्रभु राधास्वामी गुन गाऊँ ॥
जन हरिदास को चरणा राखो ,
मेटो जम की त्रासा ।
भाल पर मेरे रख दो शुभ्र पिता के आशीर्वाद
और , पवन !
तुम्हें मम नमस्कार है ,
रह न जाय कोई अवसाद ;
कर दो पूरे तन में मेरे व्याप्त
पिता के आशीर्वाद ।
मनमोहिनी ठगिया भौंरा
सतपुरुष के ना मन भाये
पुरुष लोक से हम चलि आये
अगर दीप सुनत बड़भागी
सहज दास मेटो मन पागी
उद्धव ! बेगि ही ब्रज जाहु।
सुरति सँदेस सुनाय मेटो बल्लभिन को दाहु।।
काम पावक तूलमय तन बिरह-स्वास समीर।
भसम नाहिं न होन पावत लोचनन के नीर।।
अजौ लौ यहि भाँति ह्वै है कछुक सजग सरीर।
इते पर बिनु समाधाने क्यों धरैं तिय धीर।।
कहौं कहा बनाय तुमसों सखा साधु प्रबीन?
मेटो बिहु बिथा बहु बरसन ।
हरि जी पल विच पूरन करसन ।
चित दो चाह नू ॥३ ॥
हरि जी सफल मनोरथ कोते ।
गुवारनि सुख पाए मन चीते ।
त्रिविध ताप दुख मेटो,करलो मोहे अपना।
अवगुन चित्त न लाओ,दूर करो तपना,
प्रभु दूर करो तपना।
तज तीनों जल्दी प्रभु,पद:चौथा पाऊँ।
काल जाल से भागू,राधास्वामी गुन गाऊँ,
प्रभु राधास्वामी गुन गाऊँ ॥
जन हरिदास को चरणा राखो ,
मेटो जम की त्रासा ।