जैसी मुख तैं नीकसै तैसी चालै चाल मीनिंग Jaisi Mukh Te Neekase Meaning Kabir Dohe

जैसी मुख तैं नीकसै तैसी चालै चाल मीनिंग Jaisi Mukh Te Neekase Meaning Kabir Dohe, Kabir ke Dohe Hindi Arth Sahit/Hindi Meaning/Hindi Bhavarth

जैसी मुख तैं नीकसै, तैसी चालै चाल।
पारब्रह्म नेड़ा रहै, पल में करै निहाल॥
Jaisi Mukh Te Neekase, Taisi Chale Chal,
Paarbrahm Neda Rahe, Pal Me Kare Nihaal.

जैसी मुख तैं नीकसै : जैसी मुख से निकलती है,  
तैसी चालै चाल : वह वैसे ही करता है (यदि वह वैसा करता है.)
पारब्रह्म नेड़ा रहै : वह पूर्ण ब्रह्म, पारब्रह्म के नजदीक रहता है.
पल में करै निहाल : वह पल में निहाल कर देता है.
जैसी : जिस तरह की.
मुख : मुंह.
तैं :से.
नीकसै : निकलती है.
तैसी : वैसी ही/वैसा ही.
चालै चाल : चाल चले, कार्य करे.
पारब्रह्म : इश्वर.
नेड़ा रहै : नजदीक रहता है.
पल में करै : जल्दी, अल्प समय में.
निहाल : मुक्त होना.
कबीर साहेब की वाणी है की व्यक्ति के कथनी और करनी में यदि कोई फर्क नहीं हो तो, जैसा वह कहे वैसा ही करे तो वह इश्वर के नजदीक होता है. व्यक्ति अच्छे अच्छे उपदेश देते हैं, तरह तरह की ज्ञान की बातें करते हैं लेकिन उनको अपने आचरण में नहीं उतारते हैं. यदि कथनी और करनी के इस भेद को मिटा दिया जाए तो वह इश्वर के नजदीक होता है.  ऐसा व्यक्ति पूर्ण परम ब्रह्म के नजदीक होता है और अल्प समय में ही वह भक्ति को प्राप्त कर लेता है. कबीर साहेब की इस साखी का मूल भाव है की ज्ञान तो चारों तरफ फैला हुआ है, इस ज्ञान को यदि कोई व्यक्ति अपने आचरण में उतार ले, अपने व्यवहार में उस ज्ञान को उतार ले तो अवश्य ही कल्याण होता है. कथनी और करनी का भेद मिटाना आवश्यक है.
कबीर के दोहे हिंदी भावार्थ/हिंदी अर्थ/ हिंदी मीनिंग सहित। श्रेणी : कबीर के दोहे हिंदी मीनिंग
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