कबीर गुण की बादली तीतरबानी छाँहिं मीनिंग कबीर के दोहे

कबीर गुण की बादली तीतरबानी छाँहिं मीनिंग Kabir Gun Ki Badali Hindi Meaning Kabir Dohe, Kabir Ke Dohe Hindi Meaning (Hindi Arth Sahit/Hindi Bhavarth)

कबीर गुण की बादली, तीतरबानी छाँहिं।
बाहरि रहे ते ऊबरे, भीगें मंदिर माँहिं॥
Kabir Gun Ki Badali, Teetarbaani Chhanhi,
Bahari Rahe Te Ubare, Bheege Mandir Mahin.

कबीर गुण की बादली : कबीर साहेब की वाणी है की जीवात्मा त्रि गुण की एक बदली है. त्रिगुण-सत,रज,तम.
तीतरबानी छाँहिं : छितरी हुई, जैसे तितर के पंख होते हैं.
छाँहिं : प्रभाव.
बाहरि रहे ते ऊबरे : जो बाहर रहता है वह उबर जाता है.
ते : से.
भीगें मंदिर माँहिं : जो इसके घर/प्रभाव में आता है, वह भीग जाता है.
ऊबरे : उबरना, मुक्त होना.
कबीर साहेब इन पंक्तियों में माया को रज, तम और सत तीनों गुणों से युक्त बताकर उसके प्रभाव को तीतर के पंखों की भाँती से वर्णित करते हैं, जिनके प्रभाव से कोई बच नहीं पाता है. इसके पंखों का प्रभाव बिखरा हुआ होता है. जो इसके प्रभाव से बच जाते हैं वे अवश्य ही भव से पार हो जाते हैं. जो इसके प्रभाव रूपी गृह के अंदर रहता है वह इसके जल में भीग जाता है और अवश्य ही माया के दुष्परिणाम का भागी बनता है.  प्रस्तुत साखी में विरोधाभाष और रूपक अलंकार की व्यंजना हुई है. 
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें

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