नलनी सायर घर किया दौं लागी बहुतेणि मीनिंग Nalani Sayar Ghar Kiya Meaning Kabir Dohe

नलनी सायर घर किया दौं लागी बहुतेणि मीनिंग Nalani Sayar Ghar Kiya Meaning Kabir Dohe, Kabir Ke Dohe Hindi Meaning (Hindi Bhavarth/Hindi Arth Sahit)

नलनी सायर घर किया, दौं लागी बहुतेणि।
जलही माँहै जलि मुई, पूरब जनम लिखेनी॥
Nalani Saayar Ghar Kiya, Do Laagi Bahuteni,
Jalahi Mahi Jali Mui, Purab Janam Likheni.

नलनी सायर घर किया : कमलिनी ने सागर में घर किया है.
दौं लागी बहुतेणि : भारी आग लगी है.
जलही माँहै जलि मुई : जल में रहकर भी जल गई है.
पूरब जनम लिखेनी: यह कोई पूर्व जन्मों का फल है.
साहेब की वाणी है की की जिस तरह से कमलिनी सागर में रहती है उसी प्रकार से जीवात्मा ने इस भव सागर में अपना घर बना लिया है. लेकिन विषय विकार और माया की अग्नि में वह जल रही है. जल में रहकर भी वह विषयों की अग्नि में दग्ध है. यह कोई पूर्व जन्म का ही लेखा और परिणाम है. इस साखी में कबीर साहेब का सन्देश की माया कभी भी पूर्ण नहीं होती है, माया से कोई तृप्त नहीं होता है. जितना माया के संपर्क में जीव आता है इसकी अग्नि अधिक भड़कती है और जीवात्मा ऐसे ही इस अग्नि में जलती रहती है. इस साखी में कबीर साहेब के पूर्वजन्म के बारे में विशवास का भी पता चलता है. वे कहते हैं की जीवात्मा मोह और माया की अग्नि में निरंतर जलती रहती है क्योंकि यह उसके पूर्वजन्मों का ही फल है. प्रस्तुत साखी में विरोधाभाष, यमक और विशेशाश्योक्ति अलंकार की व्यंजना हुई है.
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