कबीर इस संसार का झूठा माया मोह मीनिंग Kabir Is Sansar Ka Hindi Meaning Kabir Ke Dohe, Kabir Ke Dohe Hindi Meaning (Hindi Arth Sahit/With Hindi Vyakhya)
कबीर इस संसार का, झूठा माया मोह।जिहि घरि जिता बधावणाँ, तिहि घरि तिता अँदोह॥
Kabir is Sansaar Ka, Jhutha Maya Moh,
Jihi Ghari Jita Badhavana, Tihi Ghari Tita Adoh.
Kabir is Sansaar Ka, Jhutha Maya Moh,
Jihi Ghari Jita Badhavana, Tihi Ghari Tita Adoh.
कबीर इस संसार का : इस जगत का, संसार का
झूठा माया मोह : मोह और माया के प्रति लगाव झूठा है.
जिहि घरि जिता बधावणाँ : जिस घर में जितनी बधाइयां हैं,
तिहि घरि तिता अँदोह : उस घर में उतना ही संताप और कष्ट हैं.
संसार का : इस संसार का/इस जगत का.
झूठा : मिथ्या, झूठ, असत्य.
माया मोह : मोह और माया.
जिहि घरि : जिस घर में,
जिता :जितना (अधिक)
बधावणाँ : बधाई, खुशियाँ,
तिहि घरि : उस घर में.
तिता : उतना ही.
अँदोह : दुःख / संताप.
झूठा माया मोह : मोह और माया के प्रति लगाव झूठा है.
जिहि घरि जिता बधावणाँ : जिस घर में जितनी बधाइयां हैं,
तिहि घरि तिता अँदोह : उस घर में उतना ही संताप और कष्ट हैं.
संसार का : इस संसार का/इस जगत का.
झूठा : मिथ्या, झूठ, असत्य.
माया मोह : मोह और माया.
जिहि घरि : जिस घर में,
जिता :जितना (अधिक)
बधावणाँ : बधाई, खुशियाँ,
तिहि घरि : उस घर में.
तिता : उतना ही.
अँदोह : दुःख / संताप.
कबीर साहेब की वाणी है की इस जगत/संसार के प्रति मोह और माया मिथ्या हैं, झूठी हैं. संसार में जिस घर में हमें ज्यादा बधाई और खुशियाँ दिखाई देती हैं वह उतना ही दुखी होता है. सांसारिक खुशियाँ और आनंद झूठा और क्षणिक होता है, यह स्थाई नहीं होता है. आत्मिक आनंद ही व्यक्ति के जीवन में उपयोगी होता है जो सद्मार्ग पर चलते हुए इश्वर की भक्ति करने से प्राप्त होता है. अतः स्पष्ट है की सांसारिक खुशियों और सुख के पीछे मत भागो, माया का संग्रह करने से कोई लाभ होने वाला नहीं है.
आत्मिक आनंद के लिए भक्ति को हृदय से करना ही होगा. बाहरी दिखावे पर कभी भी यकीन मत करो, बाह्य खुशियाँ क्षणिक होती है और इनका कोई आधार नहीं होता है. संसार में जो माया दिखाई देती है वह सच्ची नहीं होती है. यह तो एक भाँती का बाह्य आडम्बर है जो माया का ही छद्म रूप है.
सच्चा आनंद मंगल तो हरी की भक्ति में ही है. प्रस्तुत साखी/दोहा में विरोधाभाष अलंकार की व्यंजना हुई है.
सच्चा आनंद मंगल तो हरी की भक्ति में ही है. प्रस्तुत साखी/दोहा में विरोधाभाष अलंकार की व्यंजना हुई है.
भजन श्रेणी : कबीर के दोहे हिंदी मीनिंग