कलि का बामण मसखरा ताहि न दीजै दान मीनिंग Kali Ka Baaman Maskhara Meaning Kabir Dohe

कलि का बामण मसखरा ताहि न दीजै दान मीनिंग Kali Ka Baaman Maskhara Meaning Kabir Dohe, Kabir Ke Dohe Hindi Arth Sahit (HIndi Meaning/Hindi Bhavarth)

कलि का बामण मसखरा, ताहि न दीजै दान।
सौ कुटुंब नरकै चला, साथि लिए जजमान॥
Kali Ka Baaman Maskhara, Tahi Na Deeje Daan,
Sou Kutumb Narake Chala, Sathi Liye Jajmaan.

कलि का बामण मसखरा : कलियुग का ब्राह्मण मसखरा है, ढोंगी और स्वांग रचने वाला है.
ताहि न दीजै दान : उसे दान नहीं देना चाहिए.
सौ कुटुंब नरकै चला : वह अपने कुटुंब सहित नरक को जाता है.
साथि लिए जजमान : साथ में अपने जजमान, शिष्यों को भी लेकर जाता है.
कलि का बामण : कलियुग का ब्राह्मण.
मसखरा : हास्य परिहास करने वाला, बातों से किसी को खुश करने वाला.
ताहि : उसे.
न दीजै : नहीं देना चाहिए.
दान " दान देना.
सौ कुटुंब : कुटुंब कबीला सहित.
नरकै चला : नरक को जाता है.
साथि लिए :
साथ में लेकर.
जजमान : अपने अनुसरण करने वालों को.
कबीर साहेब की वाणी है की कलियुग का ब्राह्मण सच्चा नहीं है. कलियुग के ब्राह्मण को किसी भी तरह का कोई दान नहीं देना चाहिए. कलियुग का ब्राह्मण अपने
कुटुंब कबीले के साथ ही नरक को जाता है और उसका अनुसरण करने वालों को भी वह अपने साथ में लेकर जाता है. भाव है की हमको पहचानना होगा की कौन सच्चा साधू है और कौन नकली साधू है. सच्चे साधू को ही हमें सम्मान देना चाहिए . कलियुग के संत तो ढोंगी हैं और वे तरह तरह की बातों को बनाकर लोगों का हास परिहास करते हैं, उनको भक्ति से कुछ लेना देना नहीं है. ऐसे ढोंगी व्यक्ति नरक के पात्र हैं.
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