रासि पराई राषताँ खाया घर का खेत हिंदी मीनिंग

रासि पराई राषताँ खाया घर का खेत हिंदी मीनिंग

रासि पराई राषताँ, खाया घर का खेत।
औरौं कौ प्रमोधतां, मुख मैं पड़िया रेत॥
Raasi Parai Raakhta, Khaya Ghar Ka Khet.
Auro Ko Pramodhta, Mukh Me Padiya Ret.

रासि पराई राषताँ : दूसरों के अनाज की रक्षा, देखभाल करते हुए.
खाया घर का खेत : आवारा पशु खुद का खेत चर जाते हैं.
औरौं कौ प्रमोधतां : दूसरों को खुश करते करते.
मुख मैं पड़िया रेत ; मुंह में रेत ही मिलती है, कुछ महत्त्व का नहीं मिल पाता है.
रासि : अनाज का ढेर, अनाज.
पराई : दूसरों की, अन्य लोगों की.
राषताँ : रखते हुए.
खाया घर का खेत : खुद का खेत उजाड़ दिया है.
औरौं कौ : दूसरों को.
प्रमोधतां : खुश करने में,
मुख मैं पड़िया रेत : खुद के मुख में रेत/महत्वहीन वस्तु का पड़ना.
कबीर साहेब की वाणी है की जो व्यक्ति महज ज्ञान को हासिल करता है, ज्ञान को अपने जीवन में उतारता नहीं है वह उस ज्ञान का लाभ प्राप्त नहीं कर पाता है.
जैसे कोई व्यक्ति दूसरों के अन्न की रक्षा करने में व्यस्त रहता है और अपने खेत का ध्यान नहीं रखता है तो उसके खेत को आवारा पशु नष्ट कर देते हैं, चर जाते हैं.
ऐसे में इसे कोई समझदारी नहीं कहा जा सकता है. भाव है की ऐसे लोग जो शास्त्रीय ज्ञान को ग्रहण करके केवल उसका उपयोग दुसरे लोगों को ज्ञान वितरित करने में करते हैं, उनके मुंह में तो खेह (रेत-अमूल्य वस्तु) ही लगती है. ज्ञान का महत्त्व यही है की उसे ग्रहण करने के उपरान्त उसे अपने जीवन में उतारा जाए. प्रवचन देने से कोई ज्ञानी नहीं बन जाता है.

साखी में उपमा और अन्योक्ति अलंकार की व्यजना हुई है.
Next Post Previous Post