जिन घर साधू न पुजिये घर की सेवा नाही हिंदी मीनिंग Jin Ghar Sadhu Na Pujiye Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth/Bhavarth Sahit
जिन घर साधू न पुजिये, घर की सेवा नाही ।ते घर मरघट जानिए, भुत बसे तिन माही ।
Jin Ghar Sadhu Na Pujiye, Ghar Ki Seva Nahi,
Te Ghar Marghat Janiye, Bhoot Base Tin Mahi.
कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi
जिस घर में साधू की पूजा अर्चना नहीं होती है, उनकी सेवा नहीं होती है उस घर को शमशान की भाँती समझना चाहिए। उस घर में भूत प्रेत का वास होता है। कबीर साहेब की वाणी है की जिस घर में साधू की पूजा नहीं होती है वह मरघट के सामान होता है. और उस मरघट रूपी घर में भूत प्रेत बसते हैं. कबीर साहेब की वाणी में यह कहा गया है कि जिस घर में साधु की पूजा नहीं होती है, वह घर मरघट के समान होता है। मरघट एक ऐसा स्थान होता है जहाँ मृतकों को दफनाया जाता है। यह एक अशुभ स्थान माना जाता है। कबीर साहेब का मानना था कि जिस घर में साधु की पूजा नहीं होती है, उस घर में भी अशुभता का वास होता है। उस घर में भूत प्रेत बस जाते हैं। अतः इस दोहे का मूल भाव है की साधू और संतजन का आदर सत्कार करना चाहिए। उनसे ही हमें वास्तविक ज्ञान की प्राप्ति होती है।
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