नारी नाहीं नाहेरी करै नैन की चोट मीनिंग
नारी नाहीं नाहेरी, करै नैन की चोट।
कोई एक हरिजन ऊबरै पारब्रह्म की ओट॥
Nari Nahi Naheri, Kare Nain Ki Chot,
Koi Ek Harijan Ubare, Paarbrahm Ki Oat.
नारी नाहीं नाहेरी : नारी शिकारी की भाँती है.
करै नैन की चोट : वह नैनों की चोट करती है.
कोई एक हरिजन ऊबरै : इससे कोई एक हरिजन ही उबर सकता है.
पारब्रह्म की ओट : ब्रह्म की ओट करके.
कबीर साहेब की वाणी है की नारी माया का ही एक रूप है जो नैन की चोट करके शिकार करती है. इसके प्रहार से कोई एक हरिजन ही ब्रह्मा की ओट करके बच पाता है. भाव है की इश्वर के सानिध्य प्राप्त होने के उपरान्त ही जीवात्मा नारी के प्रहार से बच सकता है.
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Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें।
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