नारी नाहीं नाहेरी करै नैन की चोट मीनिंग Naari Nahi Naheri Meaning Kabir Dohe
नारी नाहीं नाहेरी करै नैन की चोट मीनिंग Naari Nahi Naheri Meaning Kabir Dohe, Kabir Ke Dohe (Saakhi) Hindi Arth/Hindi Meaning Sahit (कबीर दास जी के दोहे सरल हिंदी मीनिंग/अर्थ में )
नारी नाहीं नाहेरी, करै नैन की चोट।कोई एक हरिजन ऊबरै पारब्रह्म की ओट॥
Nari Nahi Naheri, Kare Nain Ki Chot,
Koi Ek Harijan Ubare, Paarbrahm Ki Oat.
नारी नाहीं नाहेरी : नारी शिकारी की भाँती है.
करै नैन की चोट : वह नैनों की चोट करती है.
कोई एक हरिजन ऊबरै : इससे कोई एक हरिजन ही उबर सकता है.
पारब्रह्म की ओट : ब्रह्म की ओट करके.
करै नैन की चोट : वह नैनों की चोट करती है.
कोई एक हरिजन ऊबरै : इससे कोई एक हरिजन ही उबर सकता है.
पारब्रह्म की ओट : ब्रह्म की ओट करके.
कबीर साहेब की वाणी है की नारी माया का ही एक रूप है जो नैन की चोट करके शिकार करती है. इसके प्रहार से कोई एक हरिजन ही ब्रह्मा की ओट करके बच पाता है. भाव है की इश्वर के सानिध्य प्राप्त होने के उपरान्त ही जीवात्मा नारी के प्रहार से बच सकता है.
आपको ये पोस्ट पसंद आ सकती हैं