कर सेती माला जपै हिरदै बहै डंडूल मीनिंग
कर सेती माला जपै, हिरदै बहै डंडूल।
पग तौ पाला मैं गिल्या, भाजण लागी सूल॥
Kar Seti Mala Jape Hirde Bahe Dandool,
Pag To Pala Main Gilya, Bhajan Lagi Sool.
कर सेती माला जपै : जो व्यक्ति अपने हाथों में माला लेकर जाप करता है.हिरदै बहै डंडूल : हृदय में तो माया का अन्धकार की आंधी चलती है.पग तौ पाला मैं गिल्या : पाँव तो पाला, हिम में गिला हो रखा है.भाजण लागी सूल : भागने पर उसके पांवों में कांटे चुभते हैं.कर : हाथों में.सेती : में, सहित.माला जपै : माला को फेरना, माला का जाप.हिरदै : हृदय में, चित्त में.बहै : बह रहा है, चल रहा है.डंडूल : बवंडर, आंधी.पग तौ : पाँव तो.पाला मैं : हिम में, बर्फ में.गिल्या : गिले हैं, भीगे हैं.भाजण : भागने पर.लागी सूल: शूल, कांटे चुभते हैं. कबीर साहेब की वाणी है की पाखण्ड की भक्ति से क्या लाभ होने वाला है? हाथ में तो माला फिराई जाती है और उसके मन में कपट पूर्ण माया जनित विकारों की आंधी चलती रहती है. ऐसे में किसी व्यक्ति का आडम्बरपूर्ण भक्ति से क्या लाभ होने वाला है, कुछ भी नहीं. ऐसे व्यक्ति की दशा ऐसे ही होती है जैसे कोई व्यक्ति बर्फ में पड़ा हो और उसके पाँव बर्फ में गल रहे हों, और भागने पर उसके पाँव में कांटे ही चुभने लगे हो.
भाव है की सांकेतिक भक्ति या आडम्बर का कोई भी लाभ नहीं होने वाला होता है. व्यक्ति अपने हाथों में तो माला फेरता है लेकिन उसके मन के अन्दर विषय विकारों और वासनाओं का अंधड़ चलता रहता है. विषय विकारों में पड़ा हुआ व्यक्ति इतना अधिक जम जाता है की उसके पाँव भी जमने लग जाते हैं. सांसारिक व्रतिओं में पड़ा हुआ व्यक्ति, विषय विकारों में लिप्त व्यक्ति की स्थिति ऐसे ही होती है मानो जैसे की उसके पाँव उसमें जम गए हों.
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Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें।
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