राजस्थानी मुहावरे हिंदी अर्थ सहित Rajasthani Muhavare Hindi Arth, Rajasthani Muhavare in Hindi
Part 1 (भाग प्रथम)
अंधा की माखी राम उड़ावै (Andha Ki Makhi Ram Udave)
हिंदी में अर्थ : इस राजस्थानी कहावत का अर्थ है की जो गरीब है, कमजोर है, असहाय है उसकी रक्षा स्वंय ईश्वर करते हैं क्योंकि उसकी सहायता जिस संसार में कोई अन्य नहीं करता है।
अंधाधुंध की साहबी, घटाटोप को राज (Andhadhundh Ki Sahibi, Ghata Top Ko Raaj)
हिंदी में मुहावरे का अर्थ : इस मुहावरे का अर्थ है की जहाँ शासक, मुखिया ही अँधा हो, विवेकहीन हो, उसके राज में अव्यवस्था ही व्याप्त रहती है। घटाटोप से आशय अन्धकार से है।
अंबर कै थेगलीं कोनी लागै (Aumber Ke Thegali Koni Lage)
मुहावरा हिंदी मीनिंग : इस मुहावरे का अर्थ होता है की आकाश के पैबंद नहीं लगता है। इसका अर्थ असम्भव कार्य को इंगित करने के लिए किया जाता है। आकाश बहुत विशाल होता है, स्वाभाविक रूप से इसके पैच/पैबंद/कारी कुटका नहीं लगाया जा सकता है, यह संभव नहीं है।
अकल बिना ऊंट उभाणा फिरैं (Akal Bina Unt Ubhana Fire)
हिंदी मीनिंग : इस मुहावरे का अर्थ है की अकल (बुद्धि) के अभाव में ऊंट नंगे पाँव ही रेत में फिरते हैं, चलते हैं। यदि ऊंट ही बुद्धिमान होता तो वह भी जूते पहन लेता।
उभाणा - बिना जूते चप्पल के, नंगे पाँव। इस मुहावरे का उपयोग मुर्ख व्यक्ति के लिए होता है। बुद्धि के अभाव में मुर्ख व्यक्ति अनेकों मुश्किलों, विपत्तियों का सामना करता है। मूर्ख व्यक्ति उपलब्ध साधनों का उपयोग नहीं कर सकते हैं।
अक्कल उधारी कोनी मिलै (Akal Udhari Koni Mile)
हिंदी अर्थ : अक्ल (विवेक/बुद्धि) उधार में, किसी से मांगने पर नहीं मिलती है। इस दोहे का अर्थ हुआ की किसी कार्य में स्वंय का ही हुनर/बुद्धि और विवेक काम में आता है, किसी दूसरे व्यक्ति की बुद्धि और विवेक का कोई फायदा नहीं होता है।
अक्कल कोई कै बाप की कोनी (Akal Koi Ke Baap Ki Koni)
हिंदी अर्थ : इस राजस्थानी मुहावरे का हिंदी अर्थ है की अकल, विवेक और बुद्धि किसी की निजी जागिर नहीं होती है, उस पर सभी का अधिकार होता है। कोई भी व्यक्ति अपने विवेक / बुद्धि को बढ़ा सकता है।
अक्कल बड़ी के भैंस (Akal Badi Ya Bhains)
हिंदी अर्थ : इस दोहे का हिंदी में अर्थ है की शारीरिक बल की तुलना में बुद्धि सदा ही अधिक शक्तिशाली होती है। भैंस का आकार बड़ा होता है लेकिन उसे बुद्धि से काबू में किया जा सकता है, अतः स्वतः ही अक्ल ही बड़ी होती है।
हिंदी में अर्थ : इस राजस्थानी कहावत का अर्थ है की जो गरीब है, कमजोर है, असहाय है उसकी रक्षा स्वंय ईश्वर करते हैं क्योंकि उसकी सहायता जिस संसार में कोई अन्य नहीं करता है।
अंधाधुंध की साहबी, घटाटोप को राज (Andhadhundh Ki Sahibi, Ghata Top Ko Raaj)
हिंदी में मुहावरे का अर्थ : इस मुहावरे का अर्थ है की जहाँ शासक, मुखिया ही अँधा हो, विवेकहीन हो, उसके राज में अव्यवस्था ही व्याप्त रहती है। घटाटोप से आशय अन्धकार से है।
अंबर कै थेगलीं कोनी लागै (Aumber Ke Thegali Koni Lage)
मुहावरा हिंदी मीनिंग : इस मुहावरे का अर्थ होता है की आकाश के पैबंद नहीं लगता है। इसका अर्थ असम्भव कार्य को इंगित करने के लिए किया जाता है। आकाश बहुत विशाल होता है, स्वाभाविक रूप से इसके पैच/पैबंद/कारी कुटका नहीं लगाया जा सकता है, यह संभव नहीं है।
अकल बिना ऊंट उभाणा फिरैं (Akal Bina Unt Ubhana Fire)
हिंदी मीनिंग : इस मुहावरे का अर्थ है की अकल (बुद्धि) के अभाव में ऊंट नंगे पाँव ही रेत में फिरते हैं, चलते हैं। यदि ऊंट ही बुद्धिमान होता तो वह भी जूते पहन लेता।
उभाणा - बिना जूते चप्पल के, नंगे पाँव। इस मुहावरे का उपयोग मुर्ख व्यक्ति के लिए होता है। बुद्धि के अभाव में मुर्ख व्यक्ति अनेकों मुश्किलों, विपत्तियों का सामना करता है। मूर्ख व्यक्ति उपलब्ध साधनों का उपयोग नहीं कर सकते हैं।
अक्कल उधारी कोनी मिलै (Akal Udhari Koni Mile)
हिंदी अर्थ : अक्ल (विवेक/बुद्धि) उधार में, किसी से मांगने पर नहीं मिलती है। इस दोहे का अर्थ हुआ की किसी कार्य में स्वंय का ही हुनर/बुद्धि और विवेक काम में आता है, किसी दूसरे व्यक्ति की बुद्धि और विवेक का कोई फायदा नहीं होता है।
अक्कल कोई कै बाप की कोनी (Akal Koi Ke Baap Ki Koni)
हिंदी अर्थ : इस राजस्थानी मुहावरे का हिंदी अर्थ है की अकल, विवेक और बुद्धि किसी की निजी जागिर नहीं होती है, उस पर सभी का अधिकार होता है। कोई भी व्यक्ति अपने विवेक / बुद्धि को बढ़ा सकता है।
अक्कल बड़ी के भैंस (Akal Badi Ya Bhains)
हिंदी अर्थ : इस दोहे का हिंदी में अर्थ है की शारीरिक बल की तुलना में बुद्धि सदा ही अधिक शक्तिशाली होती है। भैंस का आकार बड़ा होता है लेकिन उसे बुद्धि से काबू में किया जा सकता है, अतः स्वतः ही अक्ल ही बड़ी होती है।
अक्कल में खुदा पिछाणो (Akl Me Khuda Pichhaano)
हिंदी अर्थ : अक्ल में ही ईश्वर है, उसे पहचानों।
अक्खा रोहण बायरी, राखी सरबन न होय ।
पो ही मूल न होय तो, म्ही दूलन्ती जोय ।।
आखा तीज (अक्षय तृतीया ) पर रोहिणी नक्षत्र ना हो, रक्षाबंधन के अवसर पर सावन नक्षत्र ना हो और पोष की पूर्णिमा पर मूल नक्षत्र ना हो तो तो समझो के कोई संकट है, विपत्ति है। पोश (पो ) माह में यदि पैदावार नहीं होती है संकट है।
अगम् बुद्धी बाणियो पिच्छम् बुद्धी जाट ।
तुर्त बुद्धी तुरकड़ो, बामण सपनपाट ।।
हिंदी अर्थ : सबसे तेज बुद्धि वाला व्यक्ति बणिया होता है। जाट की बुद्धि घटना घटित हो जाने के उपरान्त कार्य करती है। तुरंत ही बुद्धि तुर्क (मुस्लिम) की होती है और ब्राह्मण नीरा ठोठ होता है।
अगस्त ऊगा, मेह पूगा (August Uga, Meh Puga)
हिंदी अर्थ (मुहावरे का अर्थ ) : सावन (अगस्त माह) का महीना आने पर समझना चाहिए की मानसून आ गया है, बरसात आ गई है।
अग्रे अग्रे ब्राह्मणा, नदी नाला बरजन्ते (Agre Agre Brahman, Nadi Nala Barjante)
हिंदी अर्थ : ब्राह्मण वैसे तो सभी कामों में आगे रहता है, नेतृत्व करता है लेकिन जैसे ही कोई बाधा और विपत्ति आती है वह पीछे हट जाता है। ब्राह्मण केवल लाभ में हिस्सेदारी रखते हैं, मुसीबत में वो पीछे हट जाते हैं। बरजना - मना करना, पीछे हटना, अग्रे-अग्रिम आगे की तरफ।
अठे किसा काचर खाय है (Athe Kisa Kachar Khay Hai)
हिंदी अर्थ : यहाँ कौनसा कार्य कर रहे हो ? यानी की यहाँ पर तुम्हारा क्या काम है, व्यर्थ में यहाँ क्या कर रहे हो ?
अठे गुड़ गीलो कोनी (Athe Gud Geelo Koni)
हिंदी अर्थ : इस मुहावरे का हिंदी में अर्थ है की यहाँ पर कोई पोल पट्टी नहीं है, कोई ढील या लापरवाही नहीं है.
हिंदी अर्थ (मुहावरे का अर्थ ) : सावन (अगस्त माह) का महीना आने पर समझना चाहिए की मानसून आ गया है, बरसात आ गई है।
अग्रे अग्रे ब्राह्मणा, नदी नाला बरजन्ते (Agre Agre Brahman, Nadi Nala Barjante)
हिंदी अर्थ : ब्राह्मण वैसे तो सभी कामों में आगे रहता है, नेतृत्व करता है लेकिन जैसे ही कोई बाधा और विपत्ति आती है वह पीछे हट जाता है। ब्राह्मण केवल लाभ में हिस्सेदारी रखते हैं, मुसीबत में वो पीछे हट जाते हैं। बरजना - मना करना, पीछे हटना, अग्रे-अग्रिम आगे की तरफ।
अठे किसा काचर खाय है (Athe Kisa Kachar Khay Hai)
हिंदी अर्थ : यहाँ कौनसा कार्य कर रहे हो ? यानी की यहाँ पर तुम्हारा क्या काम है, व्यर्थ में यहाँ क्या कर रहे हो ?
अठे गुड़ गीलो कोनी (Athe Gud Geelo Koni)
हिंदी अर्थ : इस मुहावरे का हिंदी में अर्थ है की यहाँ पर कोई पोल पट्टी नहीं है, कोई ढील या लापरवाही नहीं है.
अठे चाय जैकी उठे बी चाय : जिसकी यहाँ पर जरूरत है उसकी वहां पर भी जरूरत है, अर्थ है की जिस सज्जन व्यक्ति की संसारो को जरूरत होती है उसकी इश्वर को भी जरूरत होती है.
अठे ही रेवड़ को रिवाड़ो, अठे ही भेड्या (भेड़ियारी) घुरी (Athe Hi Revad Ko Rivado, Athe Hi Bhediya Ri Ghuri )
हिंदी अर्थ : इस कहावत का हिंदी अर्थ है की एक ही स्थान पर दो विपरीत स्वभाव की वस्तुओं का होना. शाब्दिक अर्थ है की यहीं पर भेड़ का रेवाड़ो है और यहीं पर भेड़िया की मांद है .
रिवाड़ो-भेड़ों के रहने के स्थान, अठे ही - यहीं पर, घुरी -मांद.
भेड़ों के लिए भेड़िया एक तरह से खतरा होता है क्योंकि भेड़ बहुत ही डरपोक और सरल जीव होती है. इस मुहावरे का उपयोग तब किया जाता है जब विपरीत स्वभाव के व्यक्ति एक साथ हों.
अणदेखी नै दोख, बीनै गति न मोख ( Andekhi Ne Dokh, Beene Gati Na Mokh)
हिंदी अर्थ : जो निर्दोष पर दोषारोपण करता है उसे मोक्ष भी नहीं मिलता है।
अणमांग्या मोती मिलै, मांगी मिलै न भीख (Anmangya Moti Mile, Mangi Mile Na Bheekh )
हिंदी अर्थ : बिना मांगे मोती मिल जाते हैं और मांगने पर भीख भी नहीं मिलती है.
अणमिले का सै जती हैं (Anmile Ka Sai Jati Hai)
हिंदी में अर्थ : नारी के अभाव में सभी ब्रह्मचारी हैं. इस मुहावरे का उपयोग तब किया जाता है जब हाथ में कुछ हो ही ना. यथा यदि किसी को चोरी करने के लिए कुछ उपलब्ध ही नहीं है तो वह स्वतः ही इमानदार होता है. अण -नहीं, मिली (मिलना ), नारी के नहीं मिलने पर.
हिंदी अर्थ : जो निर्दोष पर दोषारोपण करता है उसे मोक्ष भी नहीं मिलता है।
अणमांग्या मोती मिलै, मांगी मिलै न भीख (Anmangya Moti Mile, Mangi Mile Na Bheekh )
हिंदी अर्थ : बिना मांगे मोती मिल जाते हैं और मांगने पर भीख भी नहीं मिलती है.
अणमिले का सै जती हैं (Anmile Ka Sai Jati Hai)
हिंदी में अर्थ : नारी के अभाव में सभी ब्रह्मचारी हैं. इस मुहावरे का उपयोग तब किया जाता है जब हाथ में कुछ हो ही ना. यथा यदि किसी को चोरी करने के लिए कुछ उपलब्ध ही नहीं है तो वह स्वतः ही इमानदार होता है. अण -नहीं, मिली (मिलना ), नारी के नहीं मिलने पर.
अण समझ के आगे रोवे, आपको दीदो खोवे (Ansamajh Ke Aage Rove Aapko Dido Khove)
नासमझ (गंवार) के आगे रोने से क्या फायदा, स्वंय की आखों का नुक्सान होने वाला है . इस दोहे का हिंदी में अर्थ हुआ की अयोग्य व्यक्ति के समक्ष अपने दुखों को बताने से कोई फायदा नहीं होता है. व्यर्थ ही रोने से आँखे ही दुखेंगी.
अणसमझ : ना समझ.
दीदो : आखें.
नासमझ (गंवार) के आगे रोने से क्या फायदा, स्वंय की आखों का नुक्सान होने वाला है . इस दोहे का हिंदी में अर्थ हुआ की अयोग्य व्यक्ति के समक्ष अपने दुखों को बताने से कोई फायदा नहीं होता है. व्यर्थ ही रोने से आँखे ही दुखेंगी.
अणसमझ : ना समझ.
दीदो : आखें.
अण समझ के भावे की नई समझदार की मौत (Ansamajh Ke Bhave Ki Nayi, Samajhdaar Ki Mout)
समझदार व्यक्ति को हर तरफ से सोचना पड़ता है. उसके लिए भला बुरा सभी मायने रखते हैं लेकिन गंवार व्यक्ति को इससे कुछ लेना देना नहीं होता है. इसका अर्थ होता है "सदा समझदार को ही कष्ट सहन करने पड़ते हैं"
अणहुते भाटे से काठी (Anhute Bhate Se Kathi)
अणहुते-तंगदस्ती, गरीबी, पैसे टके का अभाव।
भाटे : पत्थर
काठी : कठोर (दुखदाई)
हिंदी में अर्थ : इस मुहावरे का अर्थ है की तंगहाली, गरीबी पत्थर से भी अधिक कठोर होती है। उपयोग के अर्थ में इसका उपयोग गरीबी का चित्रण, अभावों के चित्रण के लिए किया जाता है।
अणि चुकी धार मारी (Ani Chuki Dhar Mari)
अणि : नोंक (तेज धारधार वस्तुओं की नोंक )
चुकी- चूक जाना।
धार मारी - धार का लगना, कट जाना।
हिंदी अर्थ : जरा सी लापरवाही में व्यक्ति को नुकसान उठाना पड़ता है।
अणहुते भाटे से काठी (Anhute Bhate Se Kathi)
अणहुते-तंगदस्ती, गरीबी, पैसे टके का अभाव।
भाटे : पत्थर
काठी : कठोर (दुखदाई)
हिंदी में अर्थ : इस मुहावरे का अर्थ है की तंगहाली, गरीबी पत्थर से भी अधिक कठोर होती है। उपयोग के अर्थ में इसका उपयोग गरीबी का चित्रण, अभावों के चित्रण के लिए किया जाता है।
अणि चुकी धार मारी (Ani Chuki Dhar Mari)
अणि : नोंक (तेज धारधार वस्तुओं की नोंक )
चुकी- चूक जाना।
धार मारी - धार का लगना, कट जाना।
हिंदी अर्थ : जरा सी लापरवाही में व्यक्ति को नुकसान उठाना पड़ता है।
अतपित वालों आदमी, सोवे निद्रा घोर,
अरपढिया आतम थकी, कहे मेघ अति जोर।
पित्त प्रकृति वाले लोगों के सोने पर घोर बरसात होती है।
अति राम बैर है (Ati Ram Bair Hain)
अति सर्वत्र ही वर्जित होती है, अति तो ईश्वर को भी पसंद नहीं है।
अरपढिया आतम थकी, कहे मेघ अति जोर।
पित्त प्रकृति वाले लोगों के सोने पर घोर बरसात होती है।
अति राम बैर है (Ati Ram Bair Hain)
अति सर्वत्र ही वर्जित होती है, अति तो ईश्वर को भी पसंद नहीं है।
अतपित वालों आदमी, सोवे निद्रा घोर,
अरपढिया आतम थकी, कहे मेघ अति जोर।
पित्त प्रकृति वाले लोगों के सोने पर घोर बरसात होती है।
अति राम बैर है (Ati Ram Bair Hain)
अति सर्वत्र ही वर्जित होती है।
अति लोभ न कीजिए, लोभ पाप की धार,
एक नारेछ के कारणे, पड़चा कुचे में च्यार।
हिंदी अर्थ : अधिक लोभ नहीं करना चाहिए। लोभ पाप का कारण बनता है। एक नारियल के कारण चार जनों को कुँए में गिरना पड़ता है। इसके पीछे के कथा है जिसका भाव है की अधिक लोभ सदा ही मुसीबतों का कारण बनता है।
अरपढिया आतम थकी, कहे मेघ अति जोर।
पित्त प्रकृति वाले लोगों के सोने पर घोर बरसात होती है।
अति राम बैर है (Ati Ram Bair Hain)
अति सर्वत्र ही वर्जित होती है।
अति लोभ न कीजिए, लोभ पाप की धार,
एक नारेछ के कारणे, पड़चा कुचे में च्यार।
हिंदी अर्थ : अधिक लोभ नहीं करना चाहिए। लोभ पाप का कारण बनता है। एक नारियल के कारण चार जनों को कुँए में गिरना पड़ता है। इसके पीछे के कथा है जिसका भाव है की अधिक लोभ सदा ही मुसीबतों का कारण बनता है।
अते सो खपे (Ate Sou Khape)
किसी भी कार्य में अति करने वाले का नाश अवश्य ही होता है। किसी भी कार्य में अति नहीं करनी चाहिए.
अत्तौताई बेटो जायो, नाळ पैली नाक कटायो (Atotayi Beto Jayo, Naal Paili Nak Katayo)
ज्यादा उतावला, व्यग्रता के कारण सदा ही नुकसान होता है। जैसे की कोई अधीर औरत ने बेटे को जन्म दिया और जल्दबाजी में नाल (शिशु को माँ से जोड़ने वाली नाळ ) काटने के चक्क्रर में बेटे का नाक ही काट दिया। अतः किसी कार्य में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए।
किसी भी कार्य में अति करने वाले का नाश अवश्य ही होता है। किसी भी कार्य में अति नहीं करनी चाहिए.
अत्तौताई बेटो जायो, नाळ पैली नाक कटायो (Atotayi Beto Jayo, Naal Paili Nak Katayo)
ज्यादा उतावला, व्यग्रता के कारण सदा ही नुकसान होता है। जैसे की कोई अधीर औरत ने बेटे को जन्म दिया और जल्दबाजी में नाल (शिशु को माँ से जोड़ने वाली नाळ ) काटने के चक्क्रर में बेटे का नाक ही काट दिया। अतः किसी कार्य में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए।
अद भण्यो घरकां ने खावै (Ad Bhanyo Gharkan Ne Khave)
अद भण्यो यानी की आधा पढ़ा हुआ। आदि अधूरी पढ़ाई करने वाला व्यक्ति सदा ही अपने घरवालों को परेशान करता है।
अद भण्यो यानी की आधा पढ़ा हुआ। आदि अधूरी पढ़ाई करने वाला व्यक्ति सदा ही अपने घरवालों को परेशान करता है।
अधर छैल काख में छाणो (Adhar Chhal Kakh Me Chhano)
नाजुक छैला और उसकी बगल में गोबर का उपला, यानी की बेमेल सौदा।
अधरम सें धन होय, बरस पांच के सात (Adharam Se Dhan Hoy Baras Panch Ke Saat)
पाप और अधर्म से कमाया हुआ धन, ज्यादा समय तक नहीं चलता है, पांच या सात वर्ष तक ही उसका धन फलता है, चलता है। आखिर में एक रोज उसका धन समाप्त हो जाता है।
अनजी का बाजा और अनजी का गाजा (Anaji Ka Baja Aur Anaji Ka Gaja)
सभी गाजे और बाजे का, तड़क भड़क का मूल "अन्न" ही होता है। अन्न से आशय धन धान्य से है।
नाजुक छैला और उसकी बगल में गोबर का उपला, यानी की बेमेल सौदा।
अधरम सें धन होय, बरस पांच के सात (Adharam Se Dhan Hoy Baras Panch Ke Saat)
पाप और अधर्म से कमाया हुआ धन, ज्यादा समय तक नहीं चलता है, पांच या सात वर्ष तक ही उसका धन फलता है, चलता है। आखिर में एक रोज उसका धन समाप्त हो जाता है।
अनजी का बाजा और अनजी का गाजा (Anaji Ka Baja Aur Anaji Ka Gaja)
सभी गाजे और बाजे का, तड़क भड़क का मूल "अन्न" ही होता है। अन्न से आशय धन धान्य से है।
राजस्थानी भाषा के मुहावरे व लोकोक्तियाँ !! By : मनोज मिश्रा परिश्रम सीकर
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