मेरा सतगुरु पीरा दा पीर मेरा मन रंगया गया
मेरा सतगुरु पीरा दा पीर मेरा मन रंगया गया
रंगया गया मन रंगया गया
नाले बादशाह नाले फ़क़ीर
मेरा मन रंगया गया
सुध भूध भूल गई मैं सब तन दी
चिंता छुट्टी जन्म मरण दी
मेरी छुट गयी मन दी पीड़
मेरा मन रंगया गया
मेरा सतगुरु पीरा दा पीर मेरा मन रंगया गया
रंगया गया मन रंगया गया
नाले बादशाह नाले फ़क़ीर
मेरा मन रंगया गया
पाठ नाम वाला एसा पढया
जिसदा नशा सदा लई चडया
मैं हो गई बड़ी अमीर
मेरा मन रंगया गया
मेरा सतगुरु पीरा दा पीर मेरा मन रंगया गया
रंगया गया मन रंगया गया
नाले बादशाह नाले फ़क़ीर
मेरा मन रंगया गया
सतगुरु दिती ऐसा मस्ती
भूल गई मैं सब दी हस्ती
हॉवे चरना विच अखीर
मेरा मन रंगया गया
मेरा सतगुरु पीरा दा पीर मेरा मन रंगया गया
रंगया गया मन रंगया गया
नाले बादशाह नाले फ़क़ीर
मेरा मन रंगया गया
नाले बादशाह नाले फ़क़ीर
मेरा मन रंगया गया
सुध भूध भूल गई मैं सब तन दी
चिंता छुट्टी जन्म मरण दी
मेरी छुट गयी मन दी पीड़
मेरा मन रंगया गया
मेरा सतगुरु पीरा दा पीर मेरा मन रंगया गया
रंगया गया मन रंगया गया
नाले बादशाह नाले फ़क़ीर
मेरा मन रंगया गया
पाठ नाम वाला एसा पढया
जिसदा नशा सदा लई चडया
मैं हो गई बड़ी अमीर
मेरा मन रंगया गया
मेरा सतगुरु पीरा दा पीर मेरा मन रंगया गया
रंगया गया मन रंगया गया
नाले बादशाह नाले फ़क़ीर
मेरा मन रंगया गया
सतगुरु दिती ऐसा मस्ती
भूल गई मैं सब दी हस्ती
हॉवे चरना विच अखीर
मेरा मन रंगया गया
मेरा सतगुरु पीरा दा पीर मेरा मन रंगया गया
रंगया गया मन रंगया गया
नाले बादशाह नाले फ़क़ीर
मेरा मन रंगया गया
मेरा सतगुरु पीरा दा पीर मेरा मन रंगया गया | Satguru Bhajan | Anandpur Bhajan | ssdn bhajan #ssdn
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भक्त अपने भाग्य को धन्य मानता है, क्योंकि सतगुरु उसके घर पधारे हैं। वह उनके स्वागत में गाय का दूध मंगवाकर भोग लगाना चाहता है। गुलाब के फूल लाकर वह सतगुरु के चरणों में चढ़ाना चाहता है। गंगा का पवित्र जल मंगवाकर वह उनके चरण धोना चाहता है। चंदन की चौकी तैयार करवाकर वह सतगुरु को उस पर बिठाना चाहता है। भोग की थाली सजाकर वह सतगुरु को अर्पित करना चाहता है। यह भजन सतगुरु के प्रति गहरी श्रद्धा, उनके आगमन से मिलने वाली अपार खुशी और उनकी सेवा करने की उत्साहपूर्ण भावना को व्यक्त करता है। भक्त का हृदय सतगुरु के दर्शन और सेवा के लिए उत्साहित है, और वह अपने सौभाग्य को बार-बार सराहता है।
सतगुरु की महिमा अनंत है, जो आत्मा को प्रकाश और शांति का मार्ग दिखाती है। गुरु अपनी कृपा से शिष्य के मन में ज्ञान का दीप जलाते हैं, जिससे अज्ञान का अंधकार दूर होता है और आत्मा प्रकाशित हो जाती है। सतगुरु ही वह स्रोत हैं, जिनके द्वारा मनुष्य अपने जीवन के असली उद्देश्य को समझ पाता है और आत्मा में शांति का अनुभव करता है। उनकी महिमा इतनी विशाल है कि उनके द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलने से ही जीवन सार्थक बनता है।
सतगुरु की महिमा से ही आत्मा को असीम शांति और प्रकाश की प्राप्ति होती है। गुरु के द्वारा दिया गया मार्गदर्शन मनुष्य को सभी भ्रमों और दुखों से मुक्ति दिलाता है। सतगुरु की कृपा से ही शिष्य के जीवन में सच्चे सुख का आगमन होता है और वह अपने आप को परमात्मा के निकट अनुभव करता है। इस प्रकार, सतगुरु की महिमा ही वह अनंत प्रकाश है, जो आत्मा को हमेशा के लिए शांति और प्रकाश के मार्ग पर ले जाती है।
सतगुरु की महिमा से ही आत्मा को असीम शांति और प्रकाश की प्राप्ति होती है। गुरु के द्वारा दिया गया मार्गदर्शन मनुष्य को सभी भ्रमों और दुखों से मुक्ति दिलाता है। सतगुरु की कृपा से ही शिष्य के जीवन में सच्चे सुख का आगमन होता है और वह अपने आप को परमात्मा के निकट अनुभव करता है। इस प्रकार, सतगुरु की महिमा ही वह अनंत प्रकाश है, जो आत्मा को हमेशा के लिए शांति और प्रकाश के मार्ग पर ले जाती है।
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Author - Saroj Jangir
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