काली का रूप तूने ले लियो रै
काली का रूप तूने ले लियो रै,
शंकर की दुल्हनियां,
शंकर की दुल्हनियां,
भोले बाबा कि दुल्हनियां,
काली का रूप तूने ले लियो रै,
शंकर की दुल्हनियां.....।
भोले के माथे पे चंदा बिराजे,
चंदा बिराजे गंगा जटाओं में साजे,
चरणों में भोले जी को ले लियो रै,
शंकर की दुल्हनियां,
काली का रूप तूने ले लियो रै,
शंकर की दुल्हनियां.....।
भोले के गले में सर्पों की माला,
सर्पों की माला कान बिच्छू केझाला,
मुंडो की माला तूने पहन लियो रै,
शंकर की दुल्हनियां.....।
भोले के तन पे भस्म बिराजे,
भस्म बिराजे बाघाम्बर साजे,
काला काला चोला तूने पहन लियो रै,
शंकर की दुल्हनियां.....।
भोले जी खायें भांग का गोला,
भांग का गोला पियें बिष का,
प्याला दानव का खून तूने पी लियो रै,
शंकर की दुल्हनियां.....।
शंकर की दुल्हनियां,
शंकर की दुल्हनियां,
भोले बाबा कि दुल्हनियां,
काली का रूप तूने ले लियो रै,
शंकर की दुल्हनियां.....।
भोले के माथे पे चंदा बिराजे,
चंदा बिराजे गंगा जटाओं में साजे,
चरणों में भोले जी को ले लियो रै,
शंकर की दुल्हनियां,
काली का रूप तूने ले लियो रै,
शंकर की दुल्हनियां.....।
भोले के गले में सर्पों की माला,
सर्पों की माला कान बिच्छू केझाला,
मुंडो की माला तूने पहन लियो रै,
शंकर की दुल्हनियां.....।
भोले के तन पे भस्म बिराजे,
भस्म बिराजे बाघाम्बर साजे,
काला काला चोला तूने पहन लियो रै,
शंकर की दुल्हनियां.....।
भोले जी खायें भांग का गोला,
भांग का गोला पियें बिष का,
प्याला दानव का खून तूने पी लियो रै,
शंकर की दुल्हनियां.....।
भजन श्रेणी : माता रानी भजन (Mata Rani Bhajan)
काली का रूप तूने ले लियो रे शंकर की दुल्हनियाँ - Kali Mata Bhajan || KALI KA ROOP TUNE LE LIYO RE
दुर्गा माता और काली माता एक ही शक्ति के दो रूप हैं। दोनों ही देवी शक्ति की प्रतीक हैं, जो असुरों का नाश करके धर्म की रक्षा करती हैं। दुर्गा माता का स्वरूप शांत, मातृवत और करुणामय है, जबकि काली माता का रूप उग्र और वीरता से भरा हुआ है। जब संसार में अत्याचार और अधर्म बढ़ जाता है, तब दुर्गा माता काली रूप धारण करके दुष्टों का विनाश करती हैं। इसलिए काली माता को दुर्गा का ही भयानक और शक्तिशाली रूप कहा गया है। दोनों ही देवियाँ अपने भक्तों को भय, दुख और अज्ञान से मुक्ति देती हैं। दुर्गा और काली — दोनों माताएँ इस बात का प्रतीक हैं कि स्त्री शक्ति में सृजन और संहार, दोनों की क्षमता निहित होती है।
मां दुर्गा के नौ प्रमुख रूप (नवदुर्गा) माने गए हैं। प्रत्येक रूप का अपना अलग महत्व और स्वरूप है—
शैलपुत्री – पर्वतराज हिमालय की पुत्री। इन्हें माता पार्वती भी कहा जाता है। इनके हाथों में त्रिशूल और कमल होता है, और ये वृषभ (बैल) पर सवार होती हैं।
ब्रह्मचारिणी – तपस्विनी रूप। ये जप, तप और संयम की प्रतीक हैं। इनके हाथों में जपमाला और कमंडल रहता है।
चंद्रघंटा – इनके मस्तक पर अर्धचंद्र के आकार की घंटी है। यह रूप शांति और साहस का प्रतीक है। सिंह पर सवार होकर दस भुजाओं में अस्त्र-शस्त्र धारण करती हैं।
कूष्मांडा – सृष्टि की उत्पत्ति करने वाली देवी। इनके हृदय में सूर्य का तेज विद्यमान रहता है। आठ भुजाओं वाली यह देवी सिंह पर विराजमान रहती हैं।
स्कंदमाता – भगवान कार्तिकेय (स्कंद) की माता। ये सिंह पर सवार होती हैं और गोद में स्कंद को धारण करती हैं।
कात्यायनी – ऋषि कात्यायन की पुत्री। इन्हें महिषासुर मर्दिनी भी कहा जाता है। ये शक्ति और पराक्रम की प्रतीक हैं।
कालरात्रि – यह रूप सबसे भयानक किंतु अत्यंत कल्याणकारी है। इनका वर्ण काला है, केश खुले हैं, और ये गधे पर सवार रहती हैं। ये दुष्ट शक्तियों का नाश करती हैं।
महागौरी – अत्यंत शांत, निर्मल और शुभ रूप। इनका वर्ण श्वेत है, और ये बैल पर सवार रहती हैं।
सिद्धिदात्री – सभी सिद्धियों को प्रदान करने वाली देवी। ये कमलासन पर विराजती हैं और चार भुजाओं वाली हैं।
इन नौ रूपों की पूजा नवरात्रि के नौ दिनों में की जाती है। मां दुर्गा को काली, भवानी, चामुंडा, अंबे, जगदंबा, महिषासुर मर्दिनी आदि नामों से भी पूजा जाता है।
शैलपुत्री – पर्वतराज हिमालय की पुत्री। इन्हें माता पार्वती भी कहा जाता है। इनके हाथों में त्रिशूल और कमल होता है, और ये वृषभ (बैल) पर सवार होती हैं।
ब्रह्मचारिणी – तपस्विनी रूप। ये जप, तप और संयम की प्रतीक हैं। इनके हाथों में जपमाला और कमंडल रहता है।
चंद्रघंटा – इनके मस्तक पर अर्धचंद्र के आकार की घंटी है। यह रूप शांति और साहस का प्रतीक है। सिंह पर सवार होकर दस भुजाओं में अस्त्र-शस्त्र धारण करती हैं।
कूष्मांडा – सृष्टि की उत्पत्ति करने वाली देवी। इनके हृदय में सूर्य का तेज विद्यमान रहता है। आठ भुजाओं वाली यह देवी सिंह पर विराजमान रहती हैं।
स्कंदमाता – भगवान कार्तिकेय (स्कंद) की माता। ये सिंह पर सवार होती हैं और गोद में स्कंद को धारण करती हैं।
कात्यायनी – ऋषि कात्यायन की पुत्री। इन्हें महिषासुर मर्दिनी भी कहा जाता है। ये शक्ति और पराक्रम की प्रतीक हैं।
कालरात्रि – यह रूप सबसे भयानक किंतु अत्यंत कल्याणकारी है। इनका वर्ण काला है, केश खुले हैं, और ये गधे पर सवार रहती हैं। ये दुष्ट शक्तियों का नाश करती हैं।
महागौरी – अत्यंत शांत, निर्मल और शुभ रूप। इनका वर्ण श्वेत है, और ये बैल पर सवार रहती हैं।
सिद्धिदात्री – सभी सिद्धियों को प्रदान करने वाली देवी। ये कमलासन पर विराजती हैं और चार भुजाओं वाली हैं।
इन नौ रूपों की पूजा नवरात्रि के नौ दिनों में की जाती है। मां दुर्गा को काली, भवानी, चामुंडा, अंबे, जगदंबा, महिषासुर मर्दिनी आदि नामों से भी पूजा जाता है।
Song - Kali Ka Roop Tune Le Liyo Re
Artist - Pallavi Narang
Singer - Rekha Garg
Music - RG Music
Editing - Karam Veer Edits and Yash
Label - Geet Mithas
Special Thanks To All Team
Artist - Pallavi Narang
Singer - Rekha Garg
Music - RG Music
Editing - Karam Veer Edits and Yash
Label - Geet Mithas
Special Thanks To All Team
इस भजन से सबंधित अन्य भजन निचे दिए गए हैं जो आपको अवश्य ही पसंद आयेगे, कृपया करके इन भजनों को भी देखें.
यह भजन भी देखिये
