ब्रह्मचारिणी माँ नवरात्रि के दूसरे दिन की देवी हैं। उन्हें तप, त्याग, और ज्ञान की देवी माना जाता है। ब्रह्मचारिणी माँ की पूजा नवरात्रि के दूसरे दिन की जाती है। इस दिन साधक अपने मन को माँ के चरणों में लगाते हैं और तप, त्याग, और ज्ञान की शक्ति प्राप्त करने की कामना करते हैं।
ब्रह्मचारिणी माँ की पूजा विधि इस प्रकार है:
सबसे पहले, एक साफ स्थान पर एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर माँ ब्रह्मचारिणी की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
फिर, माँ को गंगा जल से स्नान कराएं और उन्हें फूल, अक्षत, धूप, दीप, और नैवेद्य अर्पित करें।
माँ की आरती करें और उनके मंत्रों का जाप करें।
अंत में, माँ से अपने जीवन में सुख, समृद्धि, और ज्ञान प्राप्त करने की कामना करें।
माँ ब्रह्मचारिणी का मंत्र
ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः
ब्रह्मचारिणी माँ की पूजा करने से भक्तों को तप, त्याग, और ज्ञान की शक्ति प्राप्त होती है। वे अपने जीवन में सुख, समृद्धि, और मोक्ष प्राप्त करते हैं।
माँ ब्रह्मचारिणी देवी की कृपा से मनुष्य जीवन के कठिन संघर्षों में भी अपने कर्तव्य-पथ से विचलित नहीं होता है। वे अपने जीवन में सफलता और उपलब्धि प्राप्त करते हैं।
दुर्गा पूजा के दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी देवी की पूजा करने से भक्तों को इनकी कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस दिन ऐसी कन्याओं का पूजन किया जाता है कि जिनका विवाह तय हो गया है लेकिन अभी शादी नहीं हुई है। इन्हें अपने घर बुलाकर पूजन के पश्चात भोजन कराकर वस्त्र, पात्र आदि भेंट किए जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि इन कन्याओं में माँ ब्रह्मचारिणी देवी का वास होता है। उनकी पूजा करने से भक्तों को माँ की कृपा प्राप्त होती है।
माँ ब्रह्मचारिणी देवी की पूजा के लाभ:
तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, संयम की शक्ति प्राप्त होती है।
जीवन के कठिन संघर्षों में भी कर्तव्य-पथ से विचलित नहीं होते हैं।
जीवन में सफलता और उपलब्धि प्राप्त होती है।
माँ की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है।
ब्रह्मचारिणी माँ की पूजा विधि इस प्रकार है:
सबसे पहले, एक साफ स्थान पर एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर माँ ब्रह्मचारिणी की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
फिर, माँ को गंगा जल से स्नान कराएं और उन्हें फूल, अक्षत, धूप, दीप, और नैवेद्य अर्पित करें।
माँ की आरती करें और उनके मंत्रों का जाप करें।
अंत में, माँ से अपने जीवन में सुख, समृद्धि, और ज्ञान प्राप्त करने की कामना करें।
माँ ब्रह्मचारिणी का मंत्र
ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः
ब्रह्मचारिणी माँ की पूजा करने से भक्तों को तप, त्याग, और ज्ञान की शक्ति प्राप्त होती है। वे अपने जीवन में सुख, समृद्धि, और मोक्ष प्राप्त करते हैं।
माँ ब्रह्मचारिणी देवी की कृपा से मनुष्य जीवन के कठिन संघर्षों में भी अपने कर्तव्य-पथ से विचलित नहीं होता है। वे अपने जीवन में सफलता और उपलब्धि प्राप्त करते हैं।
दुर्गा पूजा के दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी देवी की पूजा करने से भक्तों को इनकी कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस दिन ऐसी कन्याओं का पूजन किया जाता है कि जिनका विवाह तय हो गया है लेकिन अभी शादी नहीं हुई है। इन्हें अपने घर बुलाकर पूजन के पश्चात भोजन कराकर वस्त्र, पात्र आदि भेंट किए जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि इन कन्याओं में माँ ब्रह्मचारिणी देवी का वास होता है। उनकी पूजा करने से भक्तों को माँ की कृपा प्राप्त होती है।
माँ ब्रह्मचारिणी देवी की पूजा के लाभ:
तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, संयम की शक्ति प्राप्त होती है।
जीवन के कठिन संघर्षों में भी कर्तव्य-पथ से विचलित नहीं होते हैं।
जीवन में सफलता और उपलब्धि प्राप्त होती है।
माँ की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है।
जय ब्रह्मचारिणी माँ आरती लिरिक्स Jay Brahmcharini Maa Aarti Lyrics
जय ब्रह्मचारिणी माँ,जय ब्रह्मचारिणी माँ,
जय ब्रह्मचारिणी माँ,
अपने भक्त जनो पे,
अपने भक्त जनों पे,
करती सदा ही दया,
जय ब्रह्मचारिणी माँ।
दर्शन अनुपम मधुरम,
साधनारत रहती,
मैया साधनारत रहती,
शिव जी की आराधना,
शिव जी की आराधना,
मैया सदा करती,
जय ब्रह्मचारिणी माँ।
बाये हाथ कमंडल,
दाहिन में माला,
मैया दाहिन में माला,
रूप ज्योतिर्मय अद्भुत,
रूप ज्योतिर्मय अद्भुत,
सुख देने वाला,
जय ब्रह्मचारिणी माँ।
देव ऋषि मुनि साधु,
गुण माँ के गाते,
मैया सब गुण माँ के गाते,
शक्ति स्वरूपा मैया,
शक्ति स्वरूपा मैया,
सब तुझको ध्याते,
जय ब्रह्मचारिणी माँ।
सन जम तब वैराग्य,
प्राणी वह पाता,
मैया प्राणी वह पाता,
ब्रह्मचारिणी माँ को,
ब्रह्मचारिणी माँ को,
जो निशिदिन ध्याता,
जय ब्रह्मचारिणी माँ।
नव दुर्गों में मैया,
दूजा तुम्हारा स्वरूप,
मैया दूजा तुम्हारा स्वरूप,
श्वेत वस्त्र धारिणी माँ,
श्वेत वस्त्र धारिणी माँ,
ज्योतिर्मय तेरा रूप,
जय ब्रह्मचारिणी माँ।
दूजे नौराते मैया,
जो तेरा व्रत धारे,
मैया जो तेरा व्रत धारे,
करके दया जग जननी,
करके दया जग जननी,
तू उसको तारे,
जय ब्रह्मचारिणी माँ।
शिव प्रिय शिव ब्राह्मणी,
हम पे दया करियो,
मैया हम पे दया करियो,
बालक है तेरे ही,
बालक हैं तेरे ही,
दया दृष्टि रखियो,
जय ब्रह्मचारिणी माँ।
शरण तिहारी आये,
ब्राह्मणी माता,
हे ब्राह्मणी माता
करुणा हम पे दिखाओ,
करुणा हम पे दिखाओ,
शुभ फल की दाता,
जय ब्रह्मचारिणी माँ।
ब्रह्मचारिणी की आरती,
जो कोई गावे,
मैया जो कोई गावे,
कहत शिवानंद स्वामी,
कहत शिवानंद स्वामी,
मनवांछित फल पावे,
जय ब्रह्मचारिणी माँ।
जय ब्रह्मचारिणी माँ,
जय ब्रह्मचारिणी माँ,
अपने भक्त जनो पे,
अपने भक्त जनों पे,
करती सदा ही दया,
जय ब्रह्मचारिणी मां।
Navratri Special Aarti जय ब्रह्मचारिणी माँ आरती Maa Brahmacharini Aarti | Mata Ki Aarti, Durga Aarti
यह एक बहुत ही सुंदर आरती है। यह माँ ब्रह्मचारिणी के गुणों और महिमा का वर्णन करती है। आरती में बताया गया है कि माँ ब्रह्मचारिणी अपने भक्तों पर हमेशा कृपा करती हैं। वे उन्हें तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, और संयम की शक्ति प्रदान करती हैं। माँ ब्रह्मचारिणी की कृपा से भक्त जीवन में सफलता और मोक्ष प्राप्त करते हैं।
आरती के कुछ महत्वपूर्ण अंश इस प्रकार हैं:
"दर्शन अनुपम मधुरम, साधनारत रहती, मैया साधनारत रहती, शिव जी की आराधना, शिव जी की आराधना, मैया सदा करती।"
इस अंश में बताया गया है कि माँ ब्रह्मचारिणी एक दिव्य स्वरूप हैं। वे हमेशा साधनारत रहती हैं और शिव जी की आराधना करती हैं।
"बाये हाथ कमंडल, दाहिन में माला, मैया दाहिन में माला, रूप ज्योतिर्मय अद्भुत, रूप ज्योतिर्मय अद्भुत, सुख देने वाला।"
इस अंश में बताया गया है कि माँ ब्रह्मचारिणी के बाएं हाथ में कमंडल और दाहिने हाथ में माला है। उनका रूप ज्योतिर्मय और सुखदायी है।
"देव ऋषि मुनि साधु, गुण माँ के गाते, मैया सब गुण माँ के गाते, शक्ति स्वरूपा मैया, शक्ति स्वरूपा मैया, सब तुझको ध्याते।"
इस अंश में बताया गया है कि देवता, ऋषि, मुनि, और साधु सभी माँ ब्रह्मचारिणी के गुणों का गायन करते हैं। वे सभी माँ को शक्ति स्वरूप मानते हैं और उनकी आराधना करते हैं।
"नव दुर्गों में मैया, दूजा तुम्हारा स्वरूप, मैया दूजा तुम्हारा स्वरूप, श्वेत वस्त्र धारिणी माँ, श्वेत वस्त्र धारिणी माँ, ज्योतिर्मय तेरा रूप।"
इस अंश में बताया गया है कि माँ ब्रह्मचारिणी नव दुर्गाओं में से दूसरी हैं। उनका स्वरूप श्वेत वस्त्र से ढका हुआ है और वे ज्योतिर्मय हैं।
"दूजे नौराते मैया, जो तेरा व्रत धारे, मैया जो तेरा व्रत धारे, करके दया जग जननी, करके दया जग जननी, तू उसको तारे।"
इस अंश में बताया गया है कि जो भक्त नवरात्रि के दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी का व्रत रखता है, माँ उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं।
"शिव प्रिय शिव ब्राह्मणी, हम पे दया करियो, मैया हम पे दया करियो, बालक है तेरे ही, बालक हैं तेरे ही, दया दृष्टि रखियो।"
इस अंश में भक्त माँ ब्रह्मचारिणी से प्रार्थना करते हैं कि वे उन पर दया करें। वे माँ को अपना बालक मानते हैं और उनकी दया की कामना करते हैं।
"शरण तिहारी आये, ब्राह्मणी माता, हे ब्राह्मणी माता करुणा हम पे दिखाओ, करुणा हम पे दिखाओ, शुभ फल की दाता।"
इस अंश में भक्त माँ ब्रह्मचारिणी की शरण में आते हैं। वे माँ से प्रार्थना करते हैं कि वे उन पर दया करें और उन्हें शुभ फल प्रदान करें। यह आरती माँ ब्रह्मचारिणी की भक्ति और महिमा का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। यह आरती सभी भक्तों के लिए एक प्रेरणा है।
आरती के कुछ महत्वपूर्ण अंश इस प्रकार हैं:
"दर्शन अनुपम मधुरम, साधनारत रहती, मैया साधनारत रहती, शिव जी की आराधना, शिव जी की आराधना, मैया सदा करती।"
इस अंश में बताया गया है कि माँ ब्रह्मचारिणी एक दिव्य स्वरूप हैं। वे हमेशा साधनारत रहती हैं और शिव जी की आराधना करती हैं।
"बाये हाथ कमंडल, दाहिन में माला, मैया दाहिन में माला, रूप ज्योतिर्मय अद्भुत, रूप ज्योतिर्मय अद्भुत, सुख देने वाला।"
इस अंश में बताया गया है कि माँ ब्रह्मचारिणी के बाएं हाथ में कमंडल और दाहिने हाथ में माला है। उनका रूप ज्योतिर्मय और सुखदायी है।
"देव ऋषि मुनि साधु, गुण माँ के गाते, मैया सब गुण माँ के गाते, शक्ति स्वरूपा मैया, शक्ति स्वरूपा मैया, सब तुझको ध्याते।"
इस अंश में बताया गया है कि देवता, ऋषि, मुनि, और साधु सभी माँ ब्रह्मचारिणी के गुणों का गायन करते हैं। वे सभी माँ को शक्ति स्वरूप मानते हैं और उनकी आराधना करते हैं।
"नव दुर्गों में मैया, दूजा तुम्हारा स्वरूप, मैया दूजा तुम्हारा स्वरूप, श्वेत वस्त्र धारिणी माँ, श्वेत वस्त्र धारिणी माँ, ज्योतिर्मय तेरा रूप।"
इस अंश में बताया गया है कि माँ ब्रह्मचारिणी नव दुर्गाओं में से दूसरी हैं। उनका स्वरूप श्वेत वस्त्र से ढका हुआ है और वे ज्योतिर्मय हैं।
"दूजे नौराते मैया, जो तेरा व्रत धारे, मैया जो तेरा व्रत धारे, करके दया जग जननी, करके दया जग जननी, तू उसको तारे।"
इस अंश में बताया गया है कि जो भक्त नवरात्रि के दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी का व्रत रखता है, माँ उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं।
"शिव प्रिय शिव ब्राह्मणी, हम पे दया करियो, मैया हम पे दया करियो, बालक है तेरे ही, बालक हैं तेरे ही, दया दृष्टि रखियो।"
इस अंश में भक्त माँ ब्रह्मचारिणी से प्रार्थना करते हैं कि वे उन पर दया करें। वे माँ को अपना बालक मानते हैं और उनकी दया की कामना करते हैं।
"शरण तिहारी आये, ब्राह्मणी माता, हे ब्राह्मणी माता करुणा हम पे दिखाओ, करुणा हम पे दिखाओ, शुभ फल की दाता।"
इस अंश में भक्त माँ ब्रह्मचारिणी की शरण में आते हैं। वे माँ से प्रार्थना करते हैं कि वे उन पर दया करें और उन्हें शुभ फल प्रदान करें। यह आरती माँ ब्रह्मचारिणी की भक्ति और महिमा का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। यह आरती सभी भक्तों के लिए एक प्रेरणा है।