मेरे जर जर हैं पाँव संभालो हरी

मेरे जर जर हैं पाँव संभालो हरी

मेरे जर जर हैं पाँव संभालो हरी,
अपने चरणों की छाँव में बिठा लो हरी,
मेरे जर्जर हैं पाँव संभालो हरी।

माया ममता की गलियों में भटका हुआ,
मैं हूँ तृष्णा के पिंजरे में अटका हुआ,
डाला विषियों ने घाव निकालो हरी,
मेरे जर जर है पाँव संभालो हरी,
मेरे जर्जर हैं पाँव संभालो हरी,
मेरे जर्जर हैं पांव.................।

गहरी नदिया की लहरें दीवानी हुई,
टूटे चप्पू पतवार पुरानी हुई,
अब ये डूबेगी नांव बचा लो हरी,
मेरे जर जर है पाँव संभालो हरी,
मेरे जर्जर हैं पाँव संभालो हरी,
मेरे जर्जर हैं पांव.................।

कोई पथ ना किसी ने सुझाया मुझे,
फिर भी देखो कहाँ खींच लाया मुझे,
तुमसे मिलने का चाव मिला लो हरी,
अपने चरणों की छाँव बिठा लो हरी,
मेरे जर जर है पाँव संभालो हरी,
मेरे जर्जर हैं पाँव संभालो हरी,
मेरे जर्जर हैं पांव.................।

मन को मुरली की धुन का सहारा मिले,
तन को यमुना का शीतल किनारा मिले,
हमको वृंदावन धाम बसा लो हरी,
अपने चरणों की छाँव बिठा लो हरी,
मेरे जर जर है पाँव संभालो हरी,
मेरे जर्जर हैं पाँव संभालो हरी,
मेरे जर्जर हैं पांव.................।

मेरे जर जर हैं पाँव संभालो हरी,
अपने चरणों की छाँव में बिठा लो हरी,
मेरे जर्जर हैं पाँव संभालो हरी,
मेरे जर्जर हैं पांव.................।


भजन श्रेणी : कृष्ण भजन (Krishna Bhajan)


2021 का सबसे मधुर कृष्ण भजन - मेरे जर जर हैं पाँव संभालो हरि | Mere Jar Jar Hain Paon Sambhalo Hari

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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