जग में साँचा रे राम सजाई Jag Me Sancha Re Ram Sajai
साँच बराबर तप नहीं, और झूठ बराबर पाप, जाके हृदय साँच है, ताँके हृदय प्रभु आप।
जग में साँचा रे राम सजाई, कर्म कटे चौरासी छूटे, जीव परम पद पाई, जग में साँचा रे राम सजाई, जग में साँचा रे राम सजाई।
काशी में एक जात जुलाहा, निर्गुण भक्ति चलाई, प्रीत करण हरी पीछे डौले, प्रीत करण हरी पीछे डौले, बालद लाइ डलाई, कर्म कटे चौरासी छूटे, जीव परम पद पाई, जग में साँचा रे राम सजाई, जग में साँचा रे राम सजाई।
साँची भक्ति धन्ना जी री कहीजे, बिना बोया घर लाइ, बीज ले संतों ने बांट्या, नाथ निरंजन ने निपजाई, जग में साँचा रे राम सजाई, जग में साँचा रे राम सजाई, कर्म कटे चौरासी छूटे, जीव परम पद पाई, जग में साँचा रे राम सजाई, जग में साँचा रे राम सजाई।
साँची भक्ति नीमा जी री कहिजे, मरतक गऊ जिवाई, देवरे फेरियो दूध पिलायो, इक करी छान छवाई, जग में साँचा रे राम सजाई, जग में साँचा रे राम सजाई, कर्म कटे चौरासी छूटे, जीव परम पद पाई, जग में साँचा रे राम सजाई, जग में साँचा रे राम सजाई।
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साँची भक्ति पीपा जी री कहिजे, चंदवा री आग बुझाई, सैन भक्त रो तांतों मेट्यो, आप बण्यो हरिनाइ, जग में साँचा रे राम सजाई, जग में साँचा रे राम सजाई, कर्म कटे चौरासी छूटे, जीव परम पद पाई, जग में साँचा रे राम सजाई, जग में साँचा रे राम सजाई।
प्रीती करण अर्जुन रथ हाँक्यों, तीनों लोक बड़ाई, बिना प्रीत रावण देखो, राज विभीषण पाई, जग में साँचा रे राम सजाई, जग में साँचा रे राम सजाई, कर्म कटे चौरासी छूटे, जीव परम पद पाई, जग में साँचा रे राम सजाई,
जग में साँचा रे राम सजाई।
भीलनी रा बेर, सुदामा रा चावल, प्रीती से भोग लगाईं, दुर्योधन रा मेवा त्यागा, साग विदुर घर खाई, जग में साँचा रे राम सजाई, जग में साँचा रे राम सजाई, कर्म कटे चौरासी छूटे, जीव परम पद पाई, जग में साँचा रे राम सजाई, जग में साँचा रे राम सजाई।
साध संगत भक्ता री महिमा, मो मुख वरनी ना जाई, अग्रदास दासन के दासा, आप श्री मुख गाई, जग में साँचा रे राम सजाई, जग में साँचा रे राम सजाई, कर्म कटे चौरासी छूटे, जीव परम पद पाई, जग में साँचा रे राम सजाई, जग में साँचा रे राम सजाई।